कर्नाटक बीजेपी में पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा को लेकर फिर रस्साकशी शुरू हो गई है। येदियुरप्पा समर्थक विधायकों की मांग है कि चुनाव के मद्देनजर पूर्व सीएम को चुनाव मैदान में उतारा जाए और उनके ही नेतृत्व में बीजेपी को चुनाव लड़ना चाहिए। लेकिन दूसरा गुट येदियुरप्पा पर लगातार हमले कर रहा है। बीजेपी मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगी या नहीं, इस पर फिर से संशय बन गया है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में आज रविवार को कहा गया है कि कुछ दिनों पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस प्रवक्ता रमेश बाबू ने दावा किया था: येदियुरप्पा और बोम्मई वर्तमान में अलग-अलग छोर पर खड़े हैं। पता चला है कि दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान, कर्नाटक के 30 से अधिक बीजेपी विधायकों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया कि बोम्मई को बाहर कर राज्य में नेतृत्व परिवर्तन होना चाहिए …। जिन लोगों ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, वे येदियुरप्पा समर्थक विधायक हैं।
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हालांकि येदियुरप्पा के वफादार माने जाने वाले कुछ विधायकों ने, किसी भी पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया। लेकिन वे लोग इस बात से सहमत हैं कि बोम्मई की कप्तानी में पार्टी के लिए 2023 का चुनाव लड़ना मुश्किल होगा। एक विधायक ने कहा कि वैसे हमारे पत्र भेजने को अच्छी रोशनी में नहीं देखा जाएगा।
उत्तर कर्नाटक के एक विधायक, जो येदियुरप्पा के वफादार हैं, ने कहा कि वे चाहते हैं कि वह उनके लिए प्रचार करें। हम सभी नेताओं को आमंत्रित करना चाहते हैं, लेकिन येदियुरप्पा विशेष हैं। हम चाहते हैं कि वह हमारे विधानसभा क्षेत्र में बुनकरों की रैली में शामिल हों। येदियुरप्पा और (उनके बेटे) विजयेंद्र को आमंत्रित किया गया है। लेकिन विधायक के मुताबिक येदियुरप्पा ने कहा है कि वह दिल्ली में रहेंगे, इसलिए इसके बजाय विजयेंद्र भाग लेंगे।
येदियुरप्पा समर्थकों को टिकट कटने का डर
जुलाई 2021 में बोम्मई को लाया गया था और येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया। कर्नाटक बीजेपी में येदियुरप्पा गुट में लिंगायत विधायकों की सबसे ज्यादा हैं। इसके बावजूद येदियुरप्पा को दरकिनार कर दिया गया है। पूर्व सीएम को राज्य बीजेपी इकाई के भीतर किसी भी वास्तविक शक्ति से वंचित कर दिया गया है। यही वजह है कि येदियुरप्पा के वफादारों को डर है कि टिकट बांटने के दौरान भी उन्हें दरकिनार किया जा सकता है।राज्य के चुनावों के करीब आने के साथ, येदियुरप्पा ने हाल के हफ्तों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा की रैलियों से दूरी बनाकर अपनी नाराजगी जताने का प्रयास किया।
पर, शनिवार को येदियुरप्पा ने शाह के दौरे के मौके पर उत्तरी कर्नाटक में एक कार्यक्रम में भाग लिया। शाह बीजेपी कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने शनिवार को कर्नाटक आए थे।
बीजेपी आलाकमान येदियुरप्पा को मनाने में लगा हुआ है। हाल ही में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के दौरान दिल्ली में येदियुरप्पा और पीएम मोदी के बीच बैठक हुई। येदियुरप्पा समूह की बातों को बीजेपी नेतृत्व ने सुना। बीजेपी आलाकमान ने तब से येदियुरप्पा पर हमला करने के खिलाफ पार्टी विधायकों को निर्देश जारी करते हुए पूर्व सीएम को शांत करने का प्रयास किया है।
मैं चुप रहूंगाः यतनाल
येदियुरप्पा और उनके छोटे बेटे विजयेंद्र पर हमला करने का एक लंबा इतिहास रखने वाले बीजेपी विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने इस हफ्ते बताया था कि उन्हें बीजेपी आलाकमान ने निर्देश दिया था कि वे पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ न बोलें। यतनाल ने शुक्रवार को कहा था- मैंने समझौता नहीं किया है, लेकिन आलाकमान ने मुझे ऐसा करने का निर्देश दिया है। इसलिए मैं चुप रहूंगा।
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बीजेपी नेतृत्व यतनाल के बयानों का मतलब समझता है लेकिन कार्रवाई करने से बच रहा है। बीजेपी येदियुरप्पा और यतनाल दोनों को चुनावों के लिए महत्वपूर्ण नेता मानती है।
विजयेंद्र ने कहा मेरे पिता अभी भी सबसे सम्मानित नेता
बीजेपी उपाध्यक्ष और येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र ने हालांकि शुक्रवार को घोषणा की थी कि येदियुरप्पा पर हमला करना कर्नाटक में बीजेपी पर हमला करने जैसा होगा। यतनाल वरिष्ठ नेता हैं और मैं उनके बारे में बात नहीं करना चाहूंगा। लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि मेरे पिता बी.एस. येदियुरप्पा चार बार राज्य के सीएम रहे हैं और वह अभी भी सभी समुदायों के बीच सबसे स्वीकृत और सम्मानित बड़े नेता और कार्यकर्ता हैं।विजयेंद्र ने कहा- अगर कोई येदियुरप्पा पर पत्थर फेंकेगा तो वह पार्टी को ही लगेगा। हर किसी को इसे समझना चाहिए और मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में वे समझ जाएंगे।
येदियुरप्पा विजयेंद्र को राज्य की सक्रिय राजनीति में लाने के इच्छुक माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि बीजेपी नेतृत्व इस कदम का विरोध कर रहा है, क्योंकि विजयेंद्र पर येदियुरप्पा के विभिन्न सीएम कार्यकाल के दौरान एक अतिरिक्त संवैधानिक शक्ति केंद्र के रूप में काम करने का आरोप लगाया गया था।
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