सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई जनवरी के लिए टलते ही सियासत गरमा गई है। बीजेपी से लेकर संघ के नेता राम मंदिर बनाने की बात कहने लगे तो कांग्रेस ने भी बीजेपी पर ज़ोरदार हमला बोला है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने पूछा है कि पिछले चार साल तक जो सरकार सो रही थी, वह चुनाव से ठीक पहले क्यों जाग गई? उन्होंने कहा कि अदालत अयोध्या केस पर सुनवाई के बाद फ़ैसला देगी और यह बीजेपी या कांग्रेस द्वारा तय नहीं किया जाएगा। इससे पहले सोमवार को कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा था कि हर बार चुनाव से पहले बीजेपी इस मुद्दे को उठाती है। उनके अनुसार कांग्रेस का पक्ष साफ़ है कि सभी को सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का इंतज़ार करना चाहिए। ज़ाहिर तौर पर बीजेपी का वोट बैंक पारंपरिक तौर पर हार्ड कोर हिंदू वोटर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस फूँक-फूँक कर कदम रख रही है। पार्टी की आेर से नपा-तुला बयान आ रहा है। ऐसी ही स्थिति विपक्ष के अन्य दलों की भी है।
कपिब सिब्बल ने कहा, 'अगर सरकार अध्यादेश लाकर क़ानून बनाना चाहती है तो बनाए। कांग्रेस ने उसे रोक नहीं रखा है। यह मुद्दा उठाया जा रहा है क्योंकि चुनाव नज़दीक है। क्या वे लोग पिछले चार साल से सो रहे थे?'
लेकिन बीजेपी और उसकी विचारधारा से सहानुभूति रखने वाली संस्थाएँ खुल कर बोल रही हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने कहा है कि सरकार को इस मामले में क़ानून का रास्ता अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट इस मामले में फ़ैसला नहीं सुना पा रहा है, तो सरकार को क़ानून लाना चाहिए।संघ के ऐसे बयान से लगता है कि मतदाताओं को रिझाने के लिए बीजेपी राम मंदिर निर्माण पर अध्यादेश लाने का काम कर सकती है। इसकी एक वजह तो यह होगी कि पार्टी अपनी हिंदुत्ववादी राजनीति के कार्ड को ज़िंदा रख पाएगी। इससे पार्टी यह सन्देश देने की कोशिश में होगी कि विपक्ष मन्दिर निर्माण का विरोध कर रहा है।
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