इस ताज़ा विवाद में अशोक गहलोत, तारिक़ अनवर, सलमान खुर्शीद के कूदने के बाद एंट्री हुई है कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी की। लेकिन पहले पढ़ते हैं कि सिब्बल ने क्या कहा था और बाक़ी नेताओं ने उनके बयानों पर कैसे रिएक्ट किया।
राज्यसभा सांसद सिब्बल ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए इंटरव्यू में कहा था कि लोग अब कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प के रूप में नहीं देखते और पार्टी नेतृत्व उन मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रहा है, जिनसे पार्टी जूझ रही है। उनके इस बयान पर कांग्रेस के ही सियासी दिग्गज अशोक गहलोत ने उनके ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया था।
गहलोत ने एक के बाद एक ट्वीट करते हुए कहा था, ‘कपिल सिब्बल को पार्टी के आंतरिक मामलों पर मीडिया में बात करने की कोई ज़रूरत नहीं थी। इससे देश भर में पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाएं आहत हुई हैं।’
गहलोत ने कहा था कि कांग्रेस ने अपने इतिहास में कई बार संकटों का सामना किया है लेकिन हर बार हमने और मजबूत होकर वापसी की है। उन्होंने कहा था कि ऐसा सिर्फ़ अपनी विचारधारा, कार्यक्रमों, नीतियों और पार्टी नेतृत्व में भरोसे के कारण ही संभव हो सका।
तारिक़ अनवर का मिला साथ
गहलोत को हालिया दिनों में बेहद मुखर रहे पार्टी नेता तारिक़ अनवर का साथ मिला था। अनवर ने कहा था, ‘गहलोत ने जो भी कहा, सच कहा। कपिल सिब्बल को यह समझना चाहिए कि अगर कहीं पर पार्टी ग़लत है और वह कोई सुझाव देना चाहते हैं तो उन्हें पार्टी अध्यक्ष से मिलना चाहिए।’
अनवर ने कहा था कि सिब्बल इस तरह का बयान मीडिया में दे रहे हैं तो इससे पार्टी को ही नुक़सान होगा। अनवर सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर कांग्रेस छोड़कर एनसीपी में गए थे और कुछ वक़्त पहले ही उन्होंने कांग्रेस में वापसी की है।
खुर्शीद ने भी की आलोचना
पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी सिब्बल की आलोचना की थी और फ़ेसबुक पोस्ट लिखकर कहा था, ‘आलोचना करने वालों को पहले अपने अंदर की कमियों को देखना चाहिए।’ उन्होंने कहा था, ‘हमें सत्ता में वापस आने के लिए शॉर्टकट संघर्षों को देखने के बजाय लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए।'
वरिष्ठ अधिवक्ता खुर्शीद ने आक्रामक अंदाज में कहा था, ‘जिसे काम नहीं आता है वह अपने औजार को ही दोष देता है, यानी नाच न जाने आंगन टेढ़ा।’
‘चुनाव में नहीं दिखते सिब्बल’
लेकिन अब अधीर रंजन चौधरी सिब्बल पर नए हमले के साथ सामने आए हैं। एएनआई के मुताबिक़, पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी ने कहा, ‘कपिल सिब्बल कांग्रेस के प्रति काफी चिंतित दिखाई देते हैं और पार्टी को आत्मचिंतन करने की ज़रूरत बताते हैं। लेकिन हमने बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश या गुजरात में कहीं पर भी उनका चेहरा नहीं देखा।’
चौधरी ने पलटवार करते हुए पूछा, ‘क्या कपिल सिब्बल बिहार और मध्य प्रदेश गए। केवल बोलने से कुछ नहीं होगा।’
अधीर ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, ‘अगर कुछ नेता सोचते हैं कि कांग्रेस उनके लिए सही दल नहीं है तो उन्हें नई पार्टी बना लेनी चाहिए या वे कोई दूसरी ऐसी पार्टी में भी शामिल हो सकते हैं, जो उन्हें अपने लिए सही लगती हो।’ वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि लेकिन उन्हें ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे कांग्रेस की विश्वसनीयता को नुक़सान हो सकता है।
‘हमारी बात नहीं सुनी’
कपिल सिब्बल की एक और टिप्पणी पढ़िए, इसमें उन्होंने सीधे आलाकमान की आलोचना की थी।सिब्बल ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए इंटरव्यू में कहा था, ‘हम में से कुछ लोगों ने बताया कि कांग्रेस में आगे क्या किया जाना चाहिए। लेकिन हमारी बात सुनने के बजाय उन्होंने हमसे मुंह फेर लिया। अब हम रिजल्ट्स देख सकते हैं। केवल बिहार ही नहीं, बल्कि जहां-जहां उपचुनाव हुए हैं, स्वाभाविक रूप से वहां के लोग कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प नहीं मानते।’
बीजेपी जैसा सख़्त अनुशासन नहीं
कांग्रेस में लगता है कि बीजेपी जैसे सख़्त बॉस की ज़रूरत है। बीजेपी में पिछले कुछ सालों में ख़ासकर अमित शाह के अध्यक्ष रहते यह देखा गया है कि किसी भी नेता ने मीडिया में जाकर बयानबाज़ी नहीं की है। पार्टी का सख़्त अनुशासन उन्हें ऐसा करने से रोकता है। लेकिन कांग्रेस में उलटा हाल है। यहां कोई भी बात हो, सारे नेता मीडिया में जाकर बयानबाज़ी करने लगते हैं।
कांग्रेस आलाकमान को समझना होगा कि ये स्थिति ठीक नहीं है क्योंकि चिट्ठी विवाद के दौरान भी ग़ुलाम नबी आज़ाद, कपिल सिब्बल, जितिन प्रसाद सहित वरिष्ठ नेताओं के ख़िलाफ़ पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं ने मीडिया में बयान दिए थे।
लगातार हार और ख़राब प्रदर्शन से पस्त कांग्रेस में नेताओं के बीच जारी बयानबाज़ी उसकी मुश्किलों में इजाफा करने का ही काम करेगी।
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