जांच एजेंसी ईडी ने गुरुवार को दिल्ली में स्थित हेराल्ड हाउस की तलाशी ली। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी नेशनल हेराल्ड के दफ्तर पहुंचे और कई घंटों की पूछताछ के बाद ईडी ने उनका बयान दर्ज किया।
उधर, गुरुवार को भी संसद के दोनों सदनों में जांच एजेंसी ईडी के दुरुपयोग के मुद्दे पर हंगामा हुआ। मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में कहा कि आखिरी ईडी उन्हें संसद सत्र के चालू रहते हुए कैसे बुला सकती है।
बता दें कि ईडी ने नेशनल हेराल्ड से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में खड़गे को जांच एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा था। ईडी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से इस मामले में पहले ही पूछताछ कर चुकी है।
संतुष्ट नहीं ईडी
खबरों के मुताबिक, ईडी को तलाशी के दौरान कई अहम दस्तावेज मिले हैं। जांच एजेंसी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के द्वारा उसके सामने दर्ज किए गए बयानों की भी बारीकी से पड़ताल कर रही है। इंडिया टुडे के मुताबिक, जांच एजेंसी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के इस दावे से संतुष्ट नहीं है कि एसोसिएट जनरल लिमिटेड और यंग इंडियन में सभी वित्तीय फैसले कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे मोतीलाल वोरा की ओर से लिए जाते थे।
इसके अलावा ईडी सोनिया और राहुल गांधी की इस बात से भी संतुष्ट नहीं है कि उन्हें यंग इंडियन से किसी तरह का कोई वित्तीय फायदा नहीं हुआ। कांग्रेस ने ईडी की कार्रवाई को बदले की राजनीति बताया है। ईडी ने नेशनल हेराल्ड के दफ्तरों के दफ्तर के अलावा एजेएल से जुड़ी कई जगहों पर भी छापेमारी की थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन कुमार बंसल ने भी मोतीलाल वोरा का ही नाम लिया था। पूछताछ के दौरान राहुल गांधी ने ईडी के अफसरों को बताया था कि यंग इंडियन नॉट फॉर प्रॉफिट कंपनी है।
सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने यह भी कहा था कि इस कंपनी में से एक भी पैसा नहीं निकाला गया। सोनिया गांधी से भी सवाल पूछा गया था कि यंग इंडियन का क्या रोल था और क्या इस कंपनी ने किसी तरह का वित्तीय फायदा कमाया। सोनिया गांधी ने भी राहुल के जैसा ही जवाब दिया था।
बदले की राजनीति
नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की कार्रवाई के विरोध में कांग्रेस लगातार आंदोलन कर रही है। कांग्रेस की शीर्ष व राज्य इकाइयों ने पिछले दिनों जोरदार प्रदर्शन किया था और मोदी सरकार पर जांच एजेंसी ईडी का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था।
पार्टी ने आरोपों को पूरी तरह बेबुनियाद बताते हुए कहा था कि जांच एजेंसी मोदी सरकार के इशारे पर विपक्षी नेताओं को निशाना बना रही है।
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। बीजेपी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि सोनिया और राहुल गांधी ने केवल 50 लाख रुपये का भुगतान कर यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के ज़रिए कांग्रेस के स्वामित्व वाले एसोसिएट जरनल लिमिटेड (एजेएल) की 90.25 करोड़ की रकम वसूलने का अधिकार हासिल कर लिया था।
स्वामी ने इस मामले में दिल्ली की एक अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी। स्वामी की याचिका पर संज्ञान लेते हुए अदालत ने आयकर विभाग से यंग इंडिया लिमिटेड के खिलाफ जांच करने के लिए कहा था। इस मामले में ईडी ने भी प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत नया केस दर्ज किया था।
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एजेएल को 1937 में शुरू किया था। 2010 में कंपनी में 1057 शेयर धारक थे और नुकसान होने के बाद 2011 में इसके स्वामित्व को यंग इंडिया लिमिटेड कंपनी को ट्रांसफर कर दिया गया था। एजेल की ओर से अंग्रेजी अखबार नेशनल हेराल्ड, उर्दू अखबार कौमी आवाज़ और हिंदी अखबार नवजीवन प्रकाशित किया जाता था।
यंग इंडिया लिमिटेड का गठन 2010 में किया गया था और इसमें राहुल गांधी और कांग्रेस के एक नेता निदेशक थे। राहुल गांधी और सोनिया गांधी के पास इस कंपनी के 76 फ़ीसदी शेयर थे और 24 फ़ीसदी शेयर कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नाडिस के पास थे।
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