जाति जनगणना का मुद्दा बीजेपी को न निगलते बन रहा है न उगलते? जहाँ एनडीए गठबंधन के सहयोगी खुलकर जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं वहीं बीजेपी के अंदर भी बेचैनी है। बीजेपी के भी कई नेता इसके समर्थन में बोल चुके हैं। बीजेपी सांसद संघमित्र मौर्य ने लोकसभा में जातीय जनगणना कराने का समर्थन किया था। नीतीश सरकार में बीजेपी के कोटे से मंत्री रामसूरत राय ने कहा था कि जातीय जनगणना कराई जानी चाहिए। ग़ैर ऊँची जाति के कई बीजेपी सांसद जाति जनगणना की वकालत करते हैं। कई विपक्षी पार्टियाँ तो इसके लिए सरकार पर दबाव बना ही रही हैं। ऐसे में बीजेपी के लिए क्या इस पर फ़ैसला लेना इतना आसान है?
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पिछले महीने कहा था कि सरकार ने जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति आधारित आबादी की जनगणना नहीं करने के लिए नीति के रूप में तय किया है। इसी बयान के बाद से बीजेपी पर जातिगत जनगणना के लिए दबाव बनता जा रहा है। बिहार में आरजेडी सहित दूसरे दलों ने इसके लिए दबाव बनाया।
बाद में बिहार में बीजेपी के साथ सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार खुलकर सामने आए। फिर यूपी में बीजेपी की सहयोगी अपना दल भी जाति आधारित जनगणना की मांग करने लगा। अब बीजेपी के कई ओबीसी सांसद भी इसके समर्थन में नज़र आ रहे हैं। 'द इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत में बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'यह राजनीतिक मुद्दा गरमाने जा रहा है। हम इसे दरकिनार नहीं कर सकते और न ही हम लंबे समय तक चुप रह सकते हैं।'
रिपोर्ट के अनुसार ग़ैर ऊँची जाति वाले बीजेपी सांसद इस मुद्दे पर अलग-अलग राय रखते हैं। संघ परिवार से शिक्षा लेकर निकले और बीजेपी संगठन से जुड़े नेता जाति जनगणना के ख़िलाफ़ तर्क देते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी के एक अन्य वरिष्ठ और जेपी नड्डा की केंद्रीय टीम में शामिल नेता ने कहा, 'जाति जनगणना देश के लिए हानिकारक होगी। व्यावहारिक और वैचारिक रूप से, किसी भी राष्ट्रवादी को जाति जनगणना के लिए सहमत नहीं होना चाहिए।'
हालाँकि, बीजेपी के ही सहयोगी दल जेडीयू के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री इन दलीलों को पहले ही खारिज कर चुके हैं। नीतीश कुमार ने कहा था कि जाति आधारित जनगणना से कुछ लोगों को दिक्कतें होंगी, यह बात पूरी तरह निराधार है। नीतीश ने क़रीब दो हफ़्ते पहले पत्रकारों से कहा था, 'यह केंद्र पर निर्भर है कि वह जाति की जनगणना करे या न करे... हमारा काम अपने विचार रखना है। यह मत सोचो कि एक जाति पसंद करेगी और दूसरी नहीं... यह सभी के हित में है।' उन्होंने कहा था, 'समाज में कोई तनाव पैदा नहीं होगा। खुशी होगी। हर वर्ग के लोगों को योजनाओं से लाभ होगा।'
उसी दौरान नीतीश कुमार ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने जाति जनगणना पर मुलाक़ात के लिए समय नहीं दिया।
बाद में नीतीश कुमार ने कहा था कि यदि केंद्र ने जाति आधारित जनगणना शुरू नहीं की तो इसके लिए राज्य स्तर पर चर्चा शुरू की जा सकती है।
नीतीश ने यह बात इस सवाल के जवाब में कही थी जिसमें पूछा गया था कि यदि केंद्र ऐसा नहीं करता है तो क्या राज्य भी इस तरह की कवायद करेगा। नीतीश ने कहा था, 'यह समझना चाहिए कि निर्णय केंद्र को लेना है। हमने अपनी मांग रखी है। यह राजनीतिक नहीं है, यह एक सामाजिक मामला है।'
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता और राज्य मंत्री ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, 'अगर जनगणना की जाती है, तो यह इस तथ्य को उजागर कर सकता है कि एससी और एसटी के साथ-साथ सामाजिक रूप से पिछड़े समुदायों की आबादी 80 प्रतिशत से अधिक है। इसलिए कोटा की अवधारणा पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।'
कुछ ऐसी ही बात बीजेपी सांसद संघमित्र मौर्य ने तब कही थी जब ओबीसी से जुड़े विधेयक पर लोकसभा में चर्चा हो रही थी। उन्होंने जातीय जनगणना कराने का समर्थन किया था। संघमित्र मौर्य ने कहा था कि यहाँ तक कि राज्यों और जिलों तक में जानवरों की गिनती हुई लेकिन पिछड़े समाज के लोगों की ग़िनती नहीं की गई। उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्र मौर्य ने कहा कि मोदी सरकार ही ओबीसी को उनका हक़ दिला रही है। उन्होंने यह बात उस विधेयक को लेकर कही थी जो राज्यों को ओबीसी सूची तैयार करने का हक देता है।
बिहार की नीतीश सरकार में बीजेपी के कोटे से मंत्री रामसूरत राय ने तो यहाँ तक कह दिया था कि आने वाले समय में जातीय जनगणना भी होगी और जनसंख्या नियंत्रण क़ानून भी बनेगा लेकिन ऐसा वक़्त आने पर ही होगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि शीर्ष नेतृत्व ही इस बारे में फ़ैसला लेगा।
हालाँकि बीजेपी में ही कुछ लोग जाति जनगणना के विरोध में हैं, लेकिन कई नेता पक्ष में भी हैं। बीजेपी के सहयोगी दल ही जाति जनगणना के लिए जबर्दस्त दबाव बना रहे हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, बिहार जैसे राज्यों में कई और राजनीतिक दल भी इसकी मांग कर ही रहे हैं। जाहिर है, ऐसे में बीजेपी के लिए इस पर फ़ैसला लेना बड़ा मुश्किल काम होगा।
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