दिल्ली में सेवाओं पर केंद्र द्वारा हाल ही में लागू किए गए अध्यादेश का विरोध करने के लिए कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी यानी आप को अपना समर्थन दिया है। दिल्ली में सेवाओं पर यानी ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार को लेकर केंद्र के इस रुख के ख़िलाफ़ समर्थन जुटाने के लिए अरविंद केजरीवाल विपक्षी दलों के नेताओं से मिल रहे हैं। कांग्रेस का यह समर्थन तब आया है जब एक दिन पहले नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने आप को समर्थन की घोषणा की थी।
अरविंद केजरीवाल इस मुहिम में इसलिए जुटे हैं ताकि वह केंद्र द्वारा इस मामले में लाए जाने विधेयक को राज्य सभा में पास होने से रोकें। सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रांसफर व पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को दिये जाने के बाद केंद्र ने अध्यादेश लाकर इसके लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बना दिया है। अध्यादेश की मियाद ख़त्म होने पर केंद्र को संसद में विधेयक लाकर क़ानून बनाना होगा।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 को जारी होने के बाद तुरंत अस्तित्व में आये राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के पास अब दिल्ली में सेवारत अखिल भारतीय सेवाओं के साथ-साथ उनसे संबंधित सतर्कता मामलों से जुड़े सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग की सिफारिश करने की शक्ति है। राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष दिल्ली के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव और प्रमुख गृह सचिव सदस्य होंगे। प्राधिकरण द्वारा तय किए जाने वाले सभी मामले उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से तय किए जाएंगे। मतभेद की स्थिति में उपराज्यपाल का निर्णय अंतिम होगा।
जब नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाक़ात की थी तो उन्होंने कहा था कि अगर विपक्ष एक हो जाता है और राज्यसभा में केंद्र के नए अध्यादेश से लड़ता है तो 2024 में भाजपा नहीं होगी।
केजरीवाल ने कहा, 'नीतीश जी आज मुझे अपना समर्थन देने आए। वह हमारे और दिल्ली के लोगों के साथ हैं। वह भाजपा के अध्यादेश और चुनी हुई सरकार के साथ किए गए अन्याय से भी असहमत हैं। इसके खिलाफ नीतीश जी हमारे साथ लड़ेंगे। वह सभी विपक्षियों को केंद्र के खिलाफ लड़ने के लिए एकजुट कर रहे हैं।'
उन्होंने कहा, 'यह 5-0 का फ़ैसला था, पांच जजों की बेंच का फ़ैसला था। लेकिन केंद्र सरकार ने चुनी हुई सरकार से सभी शक्तियां छीन ली हैं और एलजी को दे दी हैं, जो अब सरकार और शहर चलाएंगे।' उन्होंने कहा, 'नीतीश जी और मैंने इस मामले पर विस्तार से चर्चा की और वह सभी गैर-बीजेपी सरकारों से बीजेपी और अध्यादेश के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए एक साथ आने का आग्रह करने की तैयारी कर रहे हैं।'
केजरीवाल ने कहा, 'यदि सभी गैर भाजपा राज्य सरकारें एक साथ आती हैं तो वे एक विधेयक के माध्यम से इस मामले को राज्यसभा में उठा सकती हैं। यदि यह विधेयक सदन में पारित हो जाता है तो 2024 में कोई भाजपा नहीं होगी।'
दिल्ली में केंद्र द्वारा अध्यादेश लाए जाने के संदर्भ में नीतीश कुमार ने कहा कि चुनी हुई सरकार को जो अधिकार अदालत ने दिए हैं उसके ख़िलाफ़ केंद्र सरकार ग़ैर क़ानूनी काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सब लोग एकजुट हो जाएँ ताकि संविधान को लोग जिस तरह से अपने ढंग से इधर-उधर कर रहे हैं, उसको रोका जा सके। तेजस्वी यादव ने कहा, 'लोकतंत्र में चुनी हुई सरकारों को अधिकार मिले हैं। गैर बीजेपी शासित राज्य में बीजेपी उन्हें परेशान कर रही हैं। यदि दिल्ली में बीजेपी की सरकार होती तो क्या उपराज्यपाल की ऐसा काम करने की हिम्मत होती?'
राज्यसभा में अध्यादेश को रोकने की योजना पर चर्चा करने के लिए उनके 24 और 25 मई को मुंबई में शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार से मिलने की संभावना है।
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