क्या कांग्रेस नेतृत्व अब पार्टी के वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक पर दाँव लगाने जा रहा है? कम से कम कुछ मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से तो यही संकेत मिलता है। यदि ऐसा होता है तो शशि थरूर के बाद वह जी-23 के दूसरे ऐसे नेता होंगे जो कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में होंगे। अब तक शशि थरूर के अलावा दिग्विजय सिंह ने ही चुनाव लड़ने की घोषणा की है। अब कहा जा रहा है कि चुनाव में मुकुल वासनिक तीसरे उम्मीदवार हो सकते हैं।
मुकुल वासनिक उस जी-23 के नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने 2020 में पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को विस्फोटक ख़त भेजा था। उसमें पार्टी में आमूल-चूल बदलाव लाने की वकालत की गई थी।
मुकुल वासनिक भी उस ख़त पर हस्ताक्षर करने वालों में शामिल थे। हालाँकि, कहा जाता है कि वह जी-23 में सक्रिय नहीं थे और सिर्फ़ औपचारिक तौर पर उन्होंने हस्ताक्षर भर किए थे। वासनिक को नेहरू-गांधी परिवार का वफादार माना जाता है। कहा जाता है कि उनकी छवि साफ़ रही है। पार्टी में दूसरे नेताओं की विवादास्पद छवि से इतर वह विवादों से दूर रहे हैं।
यही वजह है कि जी-23 नेताओं के साथ उनका नाम आने के बाद भी न केवल उन्होंने पूरे विवाद में पार्टी महासचिव की स्थिति बनाए रखी, इस साल उन्हें राज्यसभा सीट से भी पुरस्कृत किया गया।
कहा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के तौर पर मुकुल वासनिक का नाम पार्टी के विचार-मंथन सत्र के दौरान सामने आया जब अशोक गहलोत दौड़ से बाहर हो गए। गहलोत ने सोनिया गांधी से मुलाक़ात के बाद आज घोषणा की है कि वह कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने अपने वफादारों के विद्रोह के बाद उसकी नैतिक ज़िम्मेदारी ली है। राजस्थान में पिछले कुछ दिनों में घटे घटनाक्रम को कांग्रेस के लिए झटका लगने वाला माना जा रहा है।
एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि वासनिक को समझाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वह पहले ही एके एंटनी के साथ बैठक कर चुके हैं और अशोक गहलोत के साथ एक और बैठक करेंगे। बता दें कि नामांकन दाखिल करने का कल आखिरी दिन है।
शशि थरूर और दिग्विजय सिंह अगले महीने होने वाले चुनाव के लिए पहले ही उम्मीदवारी घोषित कर चुके हैं। शशि थरूर को जी-23 का मुखर नेता माना जाता है तो दिग्विजय सिंह काफ़ी ज़्यादा विवादों में रहे हैं। अपने दो विरोधियों के विपरीत मुकुल वासनिक लो प्रोफाइल रहते हैं।
वासनिक महाराष्ट्र के एक दलित नेता हैं और वह महाराष्ट्र के दिवंगत नेता और पूर्व सांसद बालकृष्ण वासनिक के पुत्र हैं। वह एनएसयूआई की छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे। वह नरसिम्हा राव सरकार और मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रहे थे।
वासनिक के जी-23 का नेता होने के सवाल पर कांग्रेस के कुछ दूसरे नेता अलग राय रखते हैं। नाम न छापने का अनुरोध करने वाले एक वरिष्ठ नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि अभी भी किसी ने वासनिक को 'बागी' के रूप में नहीं देखा। उन्होंने कहा, 'हम मानते हैं कि वह अभी भी एआईसीसी के शीर्ष अधिकारियों की आंख और कान थे। वह कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो कांग्रेस आलाकमान के प्रति अपनी वफादारी से कभी समझौता करेगा।' उन्होंने यह भी कहा कि जी-23 समूह वास्तव में विद्रोह नहीं कर रहा था, बल्कि केवल पार्टी में बदलाव की मांग कर रहा था।
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