जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद एक बार फिर कांग्रेस पार्टी में बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है। इस कड़ी में वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली का भी बयान आया है और उन्होंने कहा है कि कांग्रेस में बड़ी सर्जरी की ज़रूरत है और वह सिर्फ़ विरासत पर ही नहीं टिकी रह सकती। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को किसी नेता को जिम्मेदारी देते वक़्त उसकी वैचारिक प्रतिबद्धता को तरजीह देनी चाहिए।
जितिन प्रसाद को लेकर मोइली ने कहा कि उन्होंने अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं को ऊपर रखा।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में मोइली ने कहा कि जितिन प्रसाद उत्तर प्रदेश में बेहतर काम नहीं कर सके। उन्होंने कहा कि किसी शख़्स में योग्यता न हो और उसका चयन किसी पद पर किया जाए तो नतीजा शून्य ही आता है। वह जितिन प्रसाद को बंगाल चुनाव का प्रभारी बनाए जाने के बारे में बात कर रहे थे। बंगाल में इस बार कांग्रेस पिछली बार की 44 सीटों के मुक़ाबले शून्य पर आकर सिमट गई थी।
मोइली ने कहा कि पार्टी को सही लोगों को सही जिम्मेदारी देकर इसे फिर से संगठित करना चाहिए और जो लोग अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं, ऐसे अक्षम लोगों को जिम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए।
पूर्व केंद्रीय मंत्री मोइली ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद भी पार्टी में बड़ी सर्जरी की ज़रूरत बताई थी और एक बार फिर उन्होंने कहा है कि इसकी तुरंत ज़रूरत है और कल के लिए नहीं रुकना चाहिए।
बेहद अनुभवी नेता मोइली ने कहा कि अगले साल सात राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और उसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव होंगे। अगर हम इन राज्यों में बेहतर प्रदर्शन नहीं करते हैं तो हमें आम चुनावों में बहुत मुश्किल होगी।
बता दें कि 2022 की शुरुआत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा शामिल हैं। उसके बाद साल के आख़िर में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं। मोइली का साफ कहना है कि 2024 के आम चुनाव से पहले इन राज्यों में जीत हासिल करना बेहद ज़रूरी है वरना राह मुश्किल हो जाएगी।
पार्टी में नेतृत्व के सवाल पर उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने कमान संभाली हुई है और अभी कोई वैकेंसी नहीं है। लेकिन उन्हें क़दम उठाने होंगे और पार्टी में बड़ी सर्जरी करनी होगी।
G-23 गुट में हैं शामिल
कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके मोइली G-23 गुट के उन नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर बेहद गंभीर सवाल खड़े किए थे। इस गुट में आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मनीष तिवारी से लेकर कई अनुभवी नेता शामिल हैं। जितिन प्रसाद भी इसी गुट में थे।
बीजेपी में क्यों शामिल हुए?
दूसरी ओर, कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने जितिन प्रसाद के घटनाक्रम पर एनडीटीवी से कहा, “जितिन के पास हो सकता है पार्टी छोड़ने की सही वजहें हों। मैं उसे इस बात के लिए दोष नहीं देता कि उसने पार्टी क्यों छोड़ी। मैं उसे इस बात के लिए दोष देता हूं कि वे बीजेपी में क्यों शामिल हुए।”
पूर्व केंद्रीय मंत्री सिब्बल ने कहा कि ऐसे में जितिन प्रसाद क्या यह कह सकते हैं कि अब वह उस विचारधारा को अपना रहे हैं, जिसका उन्होंने तीन दशक तक विरोध किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीति में अब फ़ैसले विचारधारा पर नहीं प्रसाद राम पॉलिटिक्स पर होते हैं जबकि पहले यह आया राम गया राम पर होते थे।
सिब्बल ने कहा कि अभी तक G-23 गुट द्वारा उठाए गए मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया है और इस मामले में तेज़ी दिखाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक वे जीवित हैं, बीजेपी में शामिल नहीं होंगे। दिल्ली की चांदनी चौक सीट से सांसद रहे सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व को पार्टी में सुधार करने चाहिए।
लोकसभा चुनाव 2019 के बाद से स्थायी अध्यक्ष चुने जाने और आंतरिक चुनाव की मांग को लेकर पार्टी में जबरदस्त घमासान हो चुका है। सोनिया गांधी अस्वस्थता के बावजूद अध्यक्ष पद संभाले हुए हैं लेकिन ताज़ा हालात में जब असम, बंगाल, केरल, पुडुचेरी में पार्टी का प्रदर्शन बेहद ख़राब रहा है तो स्थायी अध्यक्ष के चयन और आंतरिक चुनाव की मांग फिर से उठ सकती है।
देखना होगा कि पार्टी आलाकमान मोइली द्वारा बड़ी सर्जरी की मांग पर कब विचार करता है और कैसी यह बड़ी सर्जरी होगी।
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