कांग्रेस नेता राहुल गांधी सोमवार को पंजाब में हैं। वो स्वर्ण मंदिर में मत्था टेक चुके हैं और अब कारसेवा कर रहे हैं। आसपास जिन्दाबाद करने वाले कार्यकर्ता नहीं हैं। पंजाब के कांग्रेस प्रमुख राजा वारिंग ने कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं से अपील की है कि यह राहुल गांधी की व्यक्तिगत यात्रा है, इसलिए वहां पर कोई नेता या कार्यकर्ता न जाए। पंजाब के नेता हैरान हैं। क्योंकि राहुल का जब भी किसी राज्य में दौरा होता है तो पार्टी को फौरन सक्रिय कर दिया जाता है। लेकिन राहुल की इस यात्रा के बारे में सोमवार को ही घोषणा की गई और राजा वारिंग ने भी सोमवार को ही अपील कर दी।
राहुल का पंजाब दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब 2015 के पुराने ड्रग्स मामले में पार्टी विधायक सुखपाल सिंह खैरा जेल में हैं। पंजाब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तनाव है। पंजाब के कुछ कांग्रेस नेता 2024 के लोकसभा चुनाव में आप से गठबंधन के भी विरोध में हैं। ऐसे में सवाल यही है कि आखिर राहुल गांधी को यह यात्रा व्यक्तिगत क्यों रखना पड़ी।
पंजाब कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने बहुत सोच समझकर इस दौरे को व्यक्तिगत रखा। अभी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने तक वो आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के कथित संभावित गठबंधन पर कुछ भी नहीं बोलना चाहते हैं। क्योंकि ऐसे में इंडिया गठबंधन के रिश्तों पर असर पड़ेगा। खासतौर पर चार राज्यों (एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना) के नतीजे आने के बाद ही कांग्रेस अन्य किसी भी दल से समझौते की दिशा में आगे बढ़ेगी। अगर नतीजे कांग्रेस के मनमाफिक आते हैं तो सिर्फ कांग्रेस का ही नहीं बल्कि देश का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह से बदल जाएगा। यही वजह है कि कांग्रेस की तरफ से इंडिया गठबंधन को बचाने और सत्तारूढ़ भाजपा की ओर से इंडिया में दरार डालने के लिए हर तरह की रणीति का इस्तेमाल हो रहा।
राहुल के दौरे का सोमवार को जैसे ही ऐलान हुआ, पंजाब के तमाम नेता और कार्यकर्ता यही समझे कि राहुल जेल में बंद कांग्रेस विधायक सुखपाल खैरा से मुलाकात कर सकते हैं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हैं। लेकिन राजा वारिंग ने दिल्ली से सूचना आने के बाद यह साफ किया कि यह राहुल गांधी का व्यक्तिगत दौरा है। राहुल गांधी इससे पहले भी स्वर्ण मंदिर मत्था टेकने आए हैं। लेकिन हर बार उनका वो दौरा राजनीतिक होने से बच नहीं पाया। इसलिए इस बार पूरी सावधानी रखी गई है।
सिखों में कारसेवा का बहुत महत्व है। लेकिन राहुल गांधी ने हाल के ही दिनों में जिस तरह से आम लोगों से जुड़कर संदेश देने की कोशिश की है, कारसेवा उसी सिलसिले की कड़ी है। किसी भी गुरुद्वारे में बड़े-बड़े लोग कारसेवा करते हैं। लेकिन राहुल गांधी की कारसेवा इस रूप में भिन्न है कि स्वर्ण मंदिर में आम सिख हर समय आते रहते हैं, ऐसे में राहुल गांधी ने आम सिख और अन्य श्रद्धालुओं से जुड़ने का यह तरीका अपनाया। स्वर्ण मंदिर से सोमवार को फिर से राहुल की बहुत पॉजिटिव तस्वीर जाने वाली है। प्रधानमंत्री के लिए राहुल की यह गतिविधि अब नई चुनौती बन जाएगी। क्योंकि मोदी प्रयागराज के कुंभ में सफाईकर्मी महिलाओं के पैर तो धो चुके हैं लेकिन मोदी ने स्वर्ण मंदिर में कभी कारसेवा नहीं की। अगर भविष्य में मोदी स्वर्ण मंदिर बर्तन धोने की कारसेवा करने आते भी हैं तो उसे लोग राहुल की नकल ही मानेंगे।
अकालियों ने राजनीति की कोशिश की
राहुल गांधी के स्वर्ण मंदिर आने का ऐलान होते ही अकाली दल ने अपना पासा फेंका। पता नहीं यह भाजपा की सलाह पर हुआ या उनका अपना फैसला था। बहरहाल, सोमवार 2 अक्टूबर को अकाली दल प्रमुख सुखबीर बादल की पत्नी और पार्टी सांसद हरसिमरत कौर बादल स्वर्ण मंदिर मत्था टेकने पहुंच गईं। हालांकि उनका यह धार्मिक कार्यक्रम था लेकिन वो राजनीतिक बयान देने से खुद को रोक नहीं पाईं। हरसिमरत ने कहा कि राहुल गांधी का स्वर्ण मंदिर में स्वागत है लेकिन राहुल को कांग्रेस द्वारा सिखों को किए गए नुकसान को नहीं भूलना चाहिए।उन्होंने कहा कि सिर्फ शिरोमणि अकाली दल ने ही पंजाब की सेवा की है और उसके नेता राज्य के हित में जेल गए हैं। स्वर्ण मंदिर में आने वालों का स्वागत है, लेकिन इससे उन्हें कांग्रेस द्वारा सिखों को पैदा की गई उथल-पुथल की याद दिलानी चाहिए।
अकाली नेता हरसिमरत कौर बादल के इस बयान का संदेश था कि पंजाब के सिख राहुल गांधी को 1984 के दंगे की याद दिलाएं। यानी कांग्रेस की वजह से राहुल गांधी का विरोध करें। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक राहुल गांधी का स्वर्ण मंदिर दौरा और कार सेवा बहुत ही सादा ढंग से शांतिपूर्वक चल रही है।
अपनी राय बतायें