क्या बीजेपी ने अपने प्रवक्ताओं और टीवी पैनलिस्ट के लिए नई गाइडलाइंस तय की हैं। भारतीय मीडिया ने मंगलवार को सूत्रों के हवाले से एक खबर चलाई कि बीजेपी ने इस तरह की कुछ शर्तें और नियम अपने प्रवक्ताओं और पैनलिस्टों को बताएं हैं। अगर यह खबर सही है तो बीजेपी को आधिकारिक रूप से इसे बताना चाहिए, ताकी टीवी चैनल वाले भी कुछ सीख सकें और अगर यह खबर गलत है तो बीजेपी को इसका खंडन करना चाहिए। कुल मिलाकर बीजेपी की अपने प्रवक्ताओं और पैनलिस्टों के लिए की गई कवायद से कम से उस नुकसान की भरपाई नहीं हो सकेगी, जो अब तक नूपुर शर्मा और नवीन जिन्दल की टिप्पणियों से हो चुकी है।
बहरहाल, सूत्रों के मुताबिक सत्तारूढ़ बीजेपी ने अपने प्रवक्ताओं और नेताओं के टीवी बहस में शामिल होने के लिए नई सीमाएं तय की हैं।
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि केवल अधिकृत प्रवक्ता और पैनलिस्ट ही टीवी डिबेट में भाग लेंगे और उन्हें चैनल मीडिया सेल के जरिए संपर्क साधेंगे।
प्रवक्ताओं को किसी भी धर्म, उसके प्रतीकों या धार्मिक शख्सियतों की आलोचना करने के खिलाफ चेतावनी दी गई है। गरमागरम बहसों के दौरान बीजेपी के पैनलिस्टों को सीमा पार करने से मना किया गया है। सूत्रों का कहना है कि उनसे अपनी भाषा को संयमित रखने और उत्तेजित न होने का आग्रह किया गया है। उन्होंने कहा कि बिना उकसावे के वे पार्टी की विचारधारा या आदर्शों का उल्लंघन नहीं कर सकते।
बीजेपी ने अपने प्रवक्ताओं को आदेश दिया है कि किसी भी चैनल पर आने से पहले पहले टीवी पर चर्चा के विषय की जांच करें, उसकी तैयारी करें और उस पर पार्टी की लाइन का पता लगाएं।
बीजेपी के दो नेताओं नूपुर शर्मा और नवीन जिन्दल की टिप्पणियों की कम से कम 15 देशों से निंदा के बाद बीजेपी और केंद्र सरकार संकट में घिर गई है। नूपुर शर्मा ने लगभग 10 दिन पहले एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद साहब के विवाह के संबंध में गलत टिप्पणी की थी। बाद में उन्होंने ट्विटर पर कहा कि उनकी टिप्पणी भगवान शिव के खिलाफ किए गए कथित "अपमान" के जवाब में थी। एक अन्य पार्टी नेता, नवीन जिंदल को पैगंबर के बारे में एक ट्वीट पोस्ट करने के लिए निष्कासित कर दिया गया है, जिसे बाद में उन्होंने हटा दिया था। सरकार ने टिप्पणियों को "फ्रिंज तत्वों के विचार" बता कर खुद को दूर कर लिया। बाद में दोनों पर एक्शन लिया गया।
बीजेपी को सफाई भी देनी पड़ी। रविवार को उसने कहा कि वह किसी भी संप्रदाय या धर्म का अपमान या अपमान करने वाली किसी भी विचारधारा के खिलाफ है। वह ऐसे लोगों या दर्शन को बढ़ावा नहीं देती है। लेकिन इस बयान से बात नहीं बनी। कई मुस्लिम देशों ने भारत के दूतों को तलब किया और भारत से माफी की मांग की है।
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