यूपी का चुनाव दिलचस्प मोड़ पर आ गया है। टीवी चैनलों के सर्वे और चौपाल-चौराहों की बातचीत में बीजेपी और सपा के बीच होने वाला सीधा मुकाबला, अब त्रिकोणीय होता हुआ दिखने लगा है। मायावती के दुरुस्त सामाजिक समीकरण और मजबूत प्रत्याशियों के चयन के कारण बसपा चुनावी लड़ाई में मजबूत दावेदार बनकर उभर रही है।
सवाल उठता है कि बसपा अचानक लड़ाई में क्योंकर दिखने लगी है? इसकी पड़ताल करने से पहले यह समझना जरूरी है कि बसपा अब तक चुनावी विमर्श से बाहर क्यों थी?

उत्तर प्रदेश के चुनावी मुकाबले में बीएसपी को कम करके आंकना क्या बड़ी भूल होगी? क्या बीएसपी चुनाव नतीजों के बाद बड़ी खिलाड़ी बनकर उभरेगी?
दरअसल, यह बीजेपी की चुनावी रणनीति का हिस्सा है। बीजेपी-आरएसएस के कार्यकर्ताओं और उनके समर्थक मीडिया चैनलों ने सपा और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला होने का परसेप्शन खड़ा किया।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।