पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार के पूर्वी चंपारण से सांसद राधामोहन सिंह को उत्तर प्रदेश बीजेपी के संगठन प्रभारी के पद से हटाया जा सकता है। राजनीतिक गलियारों से जो ख़बर मिल रही है, उसके मुताबिक़, बीजेपी उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में विधानसभा चुनावों को देखते हुए संगठन में भारी फेरबदल कर सकती है। उत्तर प्रदेश में फ़रवरी तक विधानसभा चुनाव होने हैं। कुछ दिन पहले हुए पंचायत चुनाव परिणाम ने पार्टी के लिए खतरे की घंटी बजा दी है।
पंचायत चुनाव में जिस प्रकार के नतीजे आए हैं उससे बीजेपी नेतृत्व काफी परेशान है और आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहता है। लिहाजा पार्टी में सांगठनिक फेरबदल की तैयारी की ख़बर मिल रही है। वहीं मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चा भी जोरों पर है।
उत्तर प्रदेश में फेरबदल तय...
दरअसल, इसी महीने उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के नतीजे आये हैं। इसमें समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को पछाड़ दिया है। पंचायत चुनाव को विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहा जा रहा था। लिहाजा इसके नतीजों ने पार्टी नेतृत्व को सकते में डाल दिया है। अगले साल की शुरूआत में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं।
बीजेपी के सूत्र बता रहे हैं कि यूपी बीजेपी के प्रभारी के पद से राधामोहन सिंह की छुट्टी लगभग तय मानी जा रही है। राधामोहन सिंह को पिछले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था। तब से पार्टी का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है।
हालांकि पार्टी नेताओं का एक गुट अभी भी राधामोहन सिंह को हटाने का पक्षधर नहीं है। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक़, पार्टी के एक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और कद्दावर माने जाने वाले नेता राधामोहन सिंह के पक्ष में मुहिम चला रहे हैं।
मोदी-शाह संतुष्ट नहीं
पार्टी के एक वर्ग का कहना है कि पंचायत चुनाव औऱ विधानसभा चुनाव अलग होता है और एक की तुलना दूसरे से नहीं की जा सकती। ऐसे में पार्टी को पंचायत चुनाव के नतीजों पर ज्यादा चिंता करने के बजाय विधानसभा चुनाव की तैयारी पर जोर देना चाहिए। लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि उनकी बातों से मोदी-शाह की जोड़ी संतुष्ट नहीं है। चर्चा ये भी है कि बिहार बीजेपी के प्रभारी भूपेंद्र यादव को उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण भूमिका दी जा सकती है।
उधर, उत्तराखंड में भी अगले साल चुनाव होने हैं। पार्टी ने वहां सीएम बदल दिया है और संगठन में भी बदलाव किया है। बीजेपी के सूत्र बता रहे हैं कि हाल में हुए चुनावों की समीक्षा और आने वाले चुनावों की तैयारी को देखते हुए बीजेपी संगठन में और भी बदलाव किए जा सकते हैं। पार्टी की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का भी गठन किया जा सकता है।
देखिए, यूपी के राजनीतिक हालात पर चर्चा-
दरअसल, बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल संभालने के बाद अब तक पार्टी की कार्यकारिणी का विधिवत गठन नहीं हो पाया है। हालांकि, पिछले साल राष्ट्रीय पदाधिकारियों की घोषणा की गयी थी। लेकिन पार्टी की कई समितियां अभी पुराने प्रारूप में ही काम कर रही हैं। बीजेपी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड, केंद्रीय चुनाव समिति समेत कई अन्य समितियों का पुनर्गठन भी जल्द किये जाने की संभावना है।
बंगाल के नतीजों से मिला सबक...
दरअसल, बंगाल के चुनाव परिणाम से बीजेपी को करारा झटका लगा है। पार्टी ने वहां बहुत उम्मीद पाल रखी थी। लिहाजा पूरी साख दांव पर लगा कर बंगाल में सब कुछ झोंक दिया गया पर उम्मीद के अनुरूप सफलता नहीं मिली। पार्टी मंथन कर रही है कि वहां गलती किस स्तर पर हुई। इसके मद्देनज़र उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को लेकर तैयारी की जायेगी।
केंद्र में मंत्रिमंडल का विस्तार?
उधर, केंद्र में मोदी सरकार के बने दो साल पूरे होने वाले हैं लेकिन अब तक एक भी फेरबदल या विस्तार नहीं हुआ है। इस बीच कुछ मंत्री मंत्रिमंडल से हटे हैं। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन हो गया तो दूसरी तरफ अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे चुकी हैं। ऐसे में कुछ मंत्रियों के पास कई मंत्रालय हैं।
वहीं, कई ऐसे राज्य हैं जहां के नेताओं को उचित प्रतिनिधित्व केंद्रीय मंत्रिमंडल में नहीं मिला है। ऐसे में मंत्रिमंडल का विस्तार होना तय है। हालांकि कोरोना की दूसरी लहर के शांत होने का इंतजार किया जा रहा है। बीजेपी सूत्रों की मानें तो कुछ केंद्रीय मंत्रियों की छुट्टी भी की जा सकती है और इनमें से कईयों को संगठन में जिम्मेदारी दी जा सकती है।
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