केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर पहुंचे। हालांकि वो प्रभावी मतदाता से संवाद करने आए थे लेकिन विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि उनके घर-घर प्रचार अभियान से चुनाव आचार संहिता की धज्जियां उड़ गईं। लोगों ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करके इस तरफ चुनाव आयोग और जिला निर्वाचन अधिकारी का ध्यान दिलाया है। हालांकि अमित शाह और अन्य बीजेपी नेताओं के साथ पहली बार नहीं हुआ है। तमाम स्थानों पर बीजेपी नेताओं के प्रचार में चुनाव आचार संहिता टूट रही है। इससे एक दिन पहले समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) प्रमुख जयंत चौधरी के साथ यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी पर तीखा हमला किया था। यादव ने कैराना से हिंदुओं के पलायन के बीजेपी के चुनावी मुद्दे और जयंत चौधरी को बीजेपी के चुनाव बाद गठबंधन की पेशकश को यह कहते हुए खारिज कर दिया था, "उनका निमंत्रण कौन स्वीकार कर रहा है? कल्पना कीजिए कि वे किस स्थिति में हैं कि उन्हें लोगों को आमंत्रित करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है?"
जयंत चौधरी ने भी पहले ही बीजेपी के प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह "चवन्नी" नहीं हैं कि वह इतनी आसानी से पलट जाएंगे। दोनों नेताओं ने बीजेपी पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप भी लगाया है।
'मतगणना तक का साथ'
अमित शाह ने आज मुजफ्फरनगर में एक कार्यक्रम के दौरान जनता को संबोधित करते हुए कहा, “अखिलेश यादव और जयंत चौधरी मतगणना तक साथ हैं। यदि उनकी (सपा) सरकार बनती है, तो आजम खान (उनकी सरकार में) उसमें होंगे और जयंत भाई बाहर हो जाएंगे। उनके उम्मीदवारों की सूची बता सकती है कि चुनाव के बाद क्या होगा।"
उन्होंने अखिलेश यादव को भी चुनौती देते हुए कहा, ''अखिलेश बाबू को भी शर्म नहीं आती, कल उन्होंने यहां कहा था कि कानून-व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है अखिलेश बाबू, आज मैं एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अपना आंकड़ा देने आया हूं, अगर आप में हिम्मत है, कल एक संवाददाता सम्मेलन में अपने शासन के आंकड़े घोषित करें।"
अमित शाह ने मुजफ्फरनगर दंगों का जिक्र किया। लोगों से पूछा कि क्या वो सपा को फिर से लाकर वही हालात पैदा करना चाहते हैं। बाकी दलों को खारिज किया
शाह ने अन्य सभी दलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि-
“
पहले यहां सपा-बसपा का शासन था, जब बहनजी (बसपा प्रमुख मायावती) की पार्टी आती थी, वह एक जाति की बात करती थीं। जब कांग्रेस पार्टी आती थी तो वे परिवार की बात करते थे और जब अखिलेश बाबू आये तो वो गुंडा, माफिया और तुष्टिकरण की बात करते थे।
समाजवादी पार्टी और बीजेपी नेताओं के बीच बयानबाजी जारी है। अखिलेश यादव ने कल दावा किया था कि मुजफ्फरनगर जाने से रोकने के लिए बीजेपी ने साजिश करके उनके हेलिकॉप्टर को दिल्ली में रुकवा दिया था। इस पर यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट किया, "समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव का विमान उड़ने में विफल रहा। जनता ने 2014 में ही साइकिल को पंचर कर दिया था।"
किसान आंदोलन ने पश्चिमी यूपी के अपने राजनीतिक गढ़ में रालोद को पुनर्जीवित करने का एक नया मौका दिया है और समाजवादी पार्टी के साथ उसका गठबंधन बीजेपी के लिए एक बड़ा खतरा बन रहा है, जिसने 2017 में यहां बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था। बीजेपी ने पश्चिमी यूपी की 108 में से 83 सीटें जीतीं, यानी हर चार में से तीन सीटें - 76 फीसदी का स्ट्राइक रेट।
सैकड़ों की भीड़, प्रचार रोका
बीजेपी अब किसानों सहित कई वर्गों को पटाने की कोशिश कर रही है और पश्चिमी यूपी की सीटों के लिए अपनी लड़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। घर-घर जाकर प्रचार करने से लेकर स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें करने तक, इसके सभी शीर्ष नेता पूरे क्षेत्र में प्रचार अभियान में लगे हुए हैं। इसकी झलक आज अमित शाह के प्रचार अभियान में दिखी। सैकड़ों की तादाद में लोग उनके आसपास जमा हो गए। लेकिन चुनाव आयोग का कोई भी पर्यवेक्षक या प्रतिनिधि वहां रोक-टोक के लिए मौजूद नहीं था। जब घर-घर प्रचार अभियान में उमड़ी भीड़ के वीडियो टीवी और सोशल मीडिया पर आने लगे तो अमित शाह ने अपना प्रचार अभियान वहीं पर रोक दिया।
सपा-रालोद गठबंधन को उम्मीद है कि किसानों के विरोध की पृष्ठभूमि में जाट-मुस्लिम गठबंधन को जमीन पर मजबूती मिलेगी।
मुजफ्फरनगर को हिला देने वाले 2013 के सांप्रदायिक दंगों के बाद जाट और मुस्लिम अलग हो गए थे। उन दंगों ने न केवल 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में बीजेपी की प्रभावशाली जीत को मजबूत किया था, बल्कि 2014 के लोकसभा चुनावों में भी उसका फायदा मिला था।
जब मीडिया ने मुजफ्फरनगर के सबसे बड़े बाजार शिव चौक का दौरा कर लोगों की राय ली तो कई लोगों ने विकास पर बीजेपी के काम की सराहना की और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बार-बार राम मंदिर का जिक्र करने का उल्लेख किया। हालांकि, कुछ लोगों ने कहा कि बीजेपी अधिक रोजगार पैदा करने में विफल रही।
यहा रहने वाले रमेश चौधरी ने कहा, ''यहां से सपा-रालोद गठबंधन की जीत होगी। बीजेपी ने कुछ नहीं किया और रोजगार देने में पूरी तरह विफल रही। हर जगह बेरोजगारी है। हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेला जा रहा है। वास्तव में, मेरा मानना है कि हर पांच साल में सरकारें बदलनी चाहिए।"
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