आम आदमी पार्टी ने फिर से राहुल गांधी पर तंज कसा है। इसने पूछा है कि क्या विपक्षी दलों के लिए 'मोहब्बत की दुकान' नहीं है? आप द्वारा इस्तेमाल किया गया 'मोहब्बत की दुकान' शब्द राहुल गांधी के नारे 'नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोल रहा हूं' के संदर्भ में इस्तेमाल किया गया है। आप का यह बयान आज तब आया है जब दो दिन पहले ही पटना में संयुक्त विपक्ष की बैठक के बाद आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने दिल्ली में केंद्र के अध्यादेश की आलोचना करने से इनकार कर दिया है। इसने चेतावनी दी जब तक 'काले अध्यादेश' की आलोचना नहीं की जाएगी तब तक पार्टी समान विचारधारा वाले दलों की भविष्य की बैठकों में भाग नहीं लेगी।
कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि पटना में विपक्ष की बैठक में कांग्रेस के साथ आप की तीखी नोकझोंक भी हुई थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष को एकजुट करने के लिए यह बैठक बुलाई थी। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे, शरद पवार सहित कम से कम 15 दलों के नेता शामिल हुए थे।
विपक्षी दलों की पहली बैठक के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि सभी नेता एक साझा मोर्चा बनाने पर सहमत हुए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अगली बैठक शिमला में अस्थायी तौर पर 10 या 12 जुलाई को होगी, जिसमें सभी राज्यों के लिए रणनीति पर विचार किया जाएगा।
विपक्षी दल जहाँ एकता की बात कर रहे थे वहीं आम आदमी पार्टी ने उस बैठक के तुरंत बाद ही बयान जारी कर विपक्षी एकता से अलग होने की धमकी दे दी। अब इसी आम आदमी पार्टी ने राहुल गांधी से बड़ा दिल दिखाने की अपील की है।
आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के 'मोहब्बत की दुकान' का ज़िक्र करते हुए कहा कि उन्हें राहुल गांधी का 'मैं नफ़रत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोल कर बैठा हूं' नारा पसंद है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा, '
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सर, हम मानते हैं कि वहां नफ़रत का बाज़ार है, लेकिन आपको वहां मोहब्बत भी देनी चाहिए। अगर विपक्षी दल आपके पास मोहब्बत मांगने आते हैं और आप कहते हैं कि आपके पास यह नहीं है, तो आपकी मोहब्बत की दुकान पर सवाल खड़ा होता है।
सौरभ भारद्वाज, आप नेता
उन्होंने कहा कि अहंकारी होना ठीक है, लेकिन एक सीमा है जिसके परे लोगों और अन्य दलों को यह महसूस होने लगेगा कि सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार अहंकार से भरी है। उन्होंने विपक्षी दलों से एक-दूसरे के खिलाफ पिछली टिप्पणियों से आगे बढ़ने की भी अपील की, क्योंकि वे राज्यों में प्रतिद्वंद्वी रहे हैं, लेकिन अब उन्हें एक साथ आने की ज़रूरत है।
एक वीडियो बयान में सौरभ भारद्वाज ने कहा, 'कई पार्टियाँ अलग-अलग राज्यों में एक-दूसरे के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ती हैं। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस एक-दूसरे के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ती हैं। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और वामपंथी एक-दूसरे के खिलाफ लड़ती हैं। केरल में वामपंथी और कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी हैं। इन सभी विरोधाभासों के बावजूद, हमें अब एक साथ आना होगा।' उन्होंने कहा कि ऐसे विरोधाभास कड़वाहट पैदा करेंगे क्योंकि पार्टियां लंबे समय से एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं, और राज्यों में फिर से ऐसा कर सकती हैं।
भारद्वाज ने कहा, '
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अगर आप देखेंगे कि पार्टी के प्रवक्ताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ क्या कहा, तो सूची लंबी है, दोनों तरफ से। इसे पीछे छोड़ना होगा और आगे बढ़ना होगा।
सौरभ भारद्वाज, आप नेता
बता दें कि पटना की बैठक में राहुल गांधी ने कहा था कि उनकी पार्टी गठबंधन को लेकर खुले दिमाग से विचार कर रही है और अतीत को भूलने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा था, 'यह विचारधाराओं की लड़ाई है। हमारे बीच कुछ मतभेद हो सकते हैं लेकिन हमने अपनी विचारधारा की रक्षा के लिए लचीलेपन के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है। यह एक प्रक्रिया है और हम इसे जारी रखेंगे।'
लेकिन इधर कांग्रेस की दिल्ली ईकाई ने आप नेता के बयान पर पलटवार करते हुए आप पर धोखेबाज होने और विपक्षी एकता को तोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया। वरिष्ठ नेता अजय माकन ने एक वीडियो बयान में आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल 'भाजपा के साथ हैं क्योंकि वह जेल नहीं जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'एक तरफ आप कांग्रेस का समर्थन मांग रही है; दूसरी तरफ, वे पार्टी के खिलाफ बोल रहे हैं। वे क्या चाहते हैं, क्या वे हमारा समर्थन चाहते हैं या खुद को हमारी पार्टी से दूर कर रहे हैं... यह बहुत स्पष्ट है कि अरविंद केजरीवाल जेल जाना नहीं चाहते हैं, इसलिए वह भाजपा के साथ हैं और उनका एकमात्र मक़सद विपक्ष की एकता को तोड़ना है।'
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