कहा जाता है कि दुनिया दो वयस्क आदमियों को बन्दूक पकड़े देख सकती है परन्तु एक-दूसरे का हाथ पकड़े नहीं। क्योंकि हिंसा और नफ़रत का भाव उनके लिए लगाव और मोहब्बत से कहीं ज़्यादा सामान्य है। यही बात हमें संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान देखने को मिली। राहुल गाँधी द्वारा दिए गए फ्लाइंग किस पर भाजपा नेत्रियों ने बवाल मचा दिया। लेकिन इस बवाल का एक प्रतिशत अंश भी हमें मणिपुर में हो रही गोलीबारी या नूंह में देसी तमंचों से उड़ती गोलियों के खिलाफ नहीं दिखाई दिया।