दुनिया के नक़्शे पर ये अटकलें लगायी जा रही हैं कि भारत में कितने करोड़ लोग बेरोज़गार होंगे और कितने ग़रीब या फिर भारत के उद्योग-धंधे बैठ जायेंगे या 21 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज के बाद वे सरपट भागने लगेंगे? ऐसे में, रिज़र्व बैंक ने उम्मीद लगाये बैठे लोगों को शुक्रवार को यह कह कर निराश कर दिया कि भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत न केवल पतली है बल्कि उसके जल्दी सुधरने के भी आसार नहीं हैं।
रिज़र्व बैंक ने भी मान लिया कि विकास दर नकारात्मक रहेगी, मोदी अर्थव्यवस्था संभाल पायेंगे?
- विचार
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- 22 May, 2020

रिजर्व बैंक ने भी मान लिया है कि मौजूदा वित्तीय साल में भारत की विकास दर नकारात्मक रहेगी। अब सवाल ये है कि मोदी सरकार इस संकट से निपट पायेगी या नहीं? ऐसे में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि अकेले प्रधानमंत्री कार्यालय इससे नहीं निपट सकता, उसे दूसरे लोगों और विशेषज्ञों की मदद लेनी चाहिये लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय को दूसरों से सलाह-मशविरा करना भी गवारा नहीं है।
भले ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कितने ही दावे किये हों लेकिन हक़ीक़त यह है कि सरकार के पास फ़िलहाल कोई दृष्टि दिखाई नहीं पड़ती और आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था का वो संकट खड़ा होगा जिसके बारे में शायद पहले किसी ने सोचा भी न हो।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।