फ्रांस को लेकर दुनिया भर में जो कुछ हो रहा है, उसे कम से कम दो अलग वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। इसलामोफ़ोबिया से शुरू होकर सभ्यताओं के टकराव तक एक धारा जाती है। दूसरे, धर्मनिरपेक्षता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक भावनाओं के सिद्धांत और उनके अंतर्विरोध हैं। दोनों मसले घूम-फिरकर एक जगह पर मिलते भी हैं। इनकी वजह से जो सामाजिक ध्रुवीकरण हो रहा है, वह दुनिया को अपने बुनियादी मसलों से दूर ले जा रहा है।
फ़्रांस: धर्म विरोधी विचारों को रखने की आज़ादी क्यों न हो!
- विचार
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- 31 Oct, 2020

क्या किसी की धार्मिक मान्यताओं को ठेस पहुँचाई जानी चाहिए? फ्री स्पीच के मायने क्या कुछ भी बोलने की स्वतंत्रता है?