हिंदुस्तान-पाकिस्तान की सरहद पंजाब को बीचोबीच से चीर कर बनी और इसकी क़ीमत पंजाब और पंजाबियों ने अपने ख़ून से चुकाई। जख़्म इतना गहरा था कि हर बार जब लगता है कि वह भर गया है, पंजाब की रगों में बसी ऐसी टीस उभरती है कि पूरा पंजाब, वहाँ का प्रशासन, वहाँ की सरकार, सब कुछ घुटनों के बल बैठ जाता है। आतंकवाद, ख़ून-ख़राबे और आतंकवाद को उखाड़ फेंकने के नाम पर चली पुलिस की ख़ूनी मुहिम ने पंजाब के सीने में जो गहरे-गहरे घाव दिए हैं, उनसे उठने वाली ऐसी ही टीस का नाम है बलवंत सिंह राजोआना।
राजोआना की फाँसी पर राजनीति; पंजाब बेशक न जले, पर सुलगता रहे
- विचार
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- 2 Oct, 2019

बलवंत सिंह राजोआना ने माना है कि पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह को मानव बम से उड़ा देने की साज़िश में हिस्सा लिया। ऐसे में राजोआना को फाँसी से माफ़ी क्यों दी जा रही है?
52 साल के एक आम शक्ल-सूरत, औसत से लंबी कदकाठी वाले पंजाब पुलिस के इस बर्खास्त सिपाही ने अदालत के सामने यह जुर्म क़ुबूल किया है कि उसने पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह को मानव बम से उड़ा देने की साज़िश में हिस्सा लिया। 1 अगस्त 1995 को जब मुख्यमंत्री बेअंत सिंह अपने सचिवालय से निकले तो सुरक्षाकर्मी पंजाब पुलिस का एक सिपाही दिलावर सिंह मानव बम बनकर उनका इंतज़ार कर रहा था। जैसे ही वह बेअंत सिंह के क़रीब पहुँचा उसने ख़ुद पर बंधी बम-जैकेट में विस्फोट कर लिया। इस धमाके में मुख्यमंत्री बेअंत सिंह समेत कुल 17 लोग मारे गए।