हिंदुस्तान-पाकिस्तान की सरहद पंजाब को बीचोबीच से चीर कर बनी और इसकी क़ीमत पंजाब और पंजाबियों ने अपने ख़ून से चुकाई। जख़्म इतना गहरा था कि हर बार जब लगता है कि वह भर गया है, पंजाब की रगों में बसी ऐसी टीस उभरती है कि पूरा पंजाब, वहाँ का प्रशासन, वहाँ की सरकार, सब कुछ घुटनों के बल बैठ जाता है। आतंकवाद, ख़ून-ख़राबे और आतंकवाद को उखाड़ फेंकने के नाम पर चली पुलिस की ख़ूनी मुहिम ने पंजाब के सीने में जो गहरे-गहरे घाव दिए हैं, उनसे उठने वाली ऐसी ही टीस का नाम है बलवंत सिंह राजोआना।