मध्य प्रदेश में आदिवासियों के सर पर मूत्र विसर्जन करने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा पीड़ित के पद-प्रच्छालन से भाजपा के पाप धुलने वाले नहीं हैं। आदिवासियों के अपमान का प्रायश्चित करने के लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को इस बार विधानसभा चुनाव के पहले ये घोषणा करना चाहिए कि यदि भाजपा सत्ता में आयी तो मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री आदिवासी होगा। आदिवासियों को अब तक किसी राजनीतिक दल ने मुख्यमंत्री या प्रदेश का अध्यक्ष नहीं बनाया है।

क्या आदिवासियों की स्थिति पैर धोने से बदल जाएगी? या फिर उनको राजनीति में शीर्ष पदों पर मौका दिए जाने से हालात बेहतर होंगे?
मध्यप्रदेश देश का दूसरा बड़ा आदिवासी राज्य है लेकिन पिछले 67 वर्ष में न कांग्रेस ने और न भाजपा ने, किसी भी आदिवासी को मध्यप्रदेश की कमान सौंपने की ज़रूरत नहीं समझी। दोनों प्रमुख दल आदिवासियों को 'वोट बैंक' की तरह ही इस्तेमाल करते आ रहे हैं इन दोनों दलों ने आदिवासियों के नेतृत्व को उभरने ही नहीं दिया। दोनों ने मिलकर आदवासी नेतृत्व की हमेशा भ्रूण हत्या की इसलिए दोनों ही आदिवासियों का हक मारने के अपराधी हैं। विसंगति ये है कि इस अक्षम्य अपराध के लिए न तो इनके खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई की जा सकती है और न इनके ऊपर बुलडोजर चलाये जा सकते हैं।