2001 में गुजरात भुज भूकंप के तीसरे दिन ही तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी वहां के दौरे पर गए| सुरक्षा व्यवस्था अस्त-व्यस्त थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल और उनकी कुर्सी हिलाने में लगे नरेंद्र मोदी के बीच राजनीतिक उठा-पटक तेजी पकड़े हुए थी। अचानक पटेल ने वाजपेयी से करीब 50 किलोमीटर दूर उनके प्रभाव क्षेत्र वाले एक अन्य भूकंप प्रभावित क्षेत्र चलने को कहा जहाँ पहले से कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गयी थी| स्थानीय राजनीति का पेट भरने के लिए वाजपेयी, एसपीजी की सलाह को दरकिनार कर, वहां गए और सुरक्षित लौटे।
मोदी की सुरक्षा नहीं, महाबली की छवि खतरे में थी
- विचार
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- 29 Mar, 2025
देश में सड़क से लेकर अदालत तक प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक पर बहस हो रही है। लेकिन क्या प्रधानमंत्री मोदी की छवि को बचाने के लिए सारा किस्सा गढ़ा गया। रिटायर्ड आईपीएस और एनएसजी की स्थापना के समय से जुड़े रहे अधिकारी वी. एन. रॉय ने अपने अनुभवों के आधार पर कुछ विचारयोग्य तथ्य और बातें पेश की हैं।

दरअसल, अकस्मात दौरे अपने आप में प्रायः सुरक्षित भी होते हैं- वहां यदि सुरक्षा का प्लान नहीं हुआ तो हमले का कैसे होगा? मोदी के हालिया पंजाब दौरे को भी वहां हुयी ‘अकस्मात’ सड़क यात्रा के चलते असुरक्षित बताने वालों की कमी नहीं| लेकिन वस्तुस्थिति क्या है?