कोरोना संकट के समय अगर किसी सरकार ने अपने राज्य के लोगों को लेकर सबसे उदासीन, बल्कि नकारात्मक रवैया दिखाया है तो वह है बिहार की नीतीश कुमार सरकार। जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की सरकार ने अपने ही राज्य के लोगों की मदद में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं ली, बल्कि उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया। जानलेवा कोरोना के ख़तरे को देखते हुए मज़दूर अपने घरों को लौटने के लिए छटपटा रहे थे मगर ‘सुशासन बाबू’ पता नहीं किस जोड़-तोड़ में लगे हुए थे।
बिहार के मज़दूरों को अनाथ छोड़ दिया, वापस क्यों नहीं ला रहे हैं नीतीश कुमार?
- विचार
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- 8 May, 2020

कोरोना संकट के समय अगर किसी सरकार ने अपने राज्य के लोगों को लेकर सबसे उदासीन, बल्कि नकारात्मक रवैया दिखाया है तो वह है बिहार की नीतीश कुमार सरकार।
और अब तो उन्होंने मज़दूरों को गिरमिटिया और ग़ुलाम बनकर काम करने के लिए अनाथ छोड़ दिया है। यही वज़ह है कि कर्नाटक सरकार ने बिल्डरों के दबाव में बिहारी मज़दूरों को बंधक बना लिया है, मगर वह चुप हैं, कुछ भी नहीं कर रहे हैं। गुजरात सरकार सूरत से बिहार के मज़दूरों को जाने नहीं दे रही है, वे कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं, उन पर लाठी चार्ज किया गया है, मगर नीतीश कुमार की ज़ुबान नहीं खुल रही, बिहार सरकार की आवाज़ नहीं निकल रही है।