शांघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक में हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार अफ़ग़ानिस्तान पर अपना मुँह खोला। उन्हें बधाई, उनके जन्मदिन की भी! पिछले डेढ़-दो महीने से ऐसा लग रहा था कि भारत की विदेश नीति से हमारे प्रधानमंत्री का कुछ लेना-देना नहीं है। उन्होंने विदेश नीति बनाने और चलाने का सारा ठेका नौकरशाहों को दे दिया है लेकिन अब वे बोले और अच्छा बोले। उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में सर्वसमावेशी सरकार और आतंक-मुक्ति की बात पर जोर दिया, जो बिल्कुल ठीक थी लेकिन उसमें नया क्या था? वह तो सुरक्षा परिषद और मानव अधिकार आयोग की बैठक में सभी राष्ट्र कई बार प्रस्ताव पारित कर चुके हैं।