पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बीच केंद्र सरकार ने 'सस्ता आटा, सस्ती दाल' लांच कर एक नेक काम किया है। सरकार की ये जनकल्याणकारी योजना है क्योंकि देश में अब एक तरफ अडानी का फार्च्यून आटा आम जनता का खून पी रहा है तो दूसरी तरफ़ अडानी की दाल। ऐसे में अडानी के कान खींचने के बजाय सरकार ने अपनी ही देशी सहकारी संस्थाओं को अडानी के मुकाबले मैदान में उतार दिया या यूं कहिये खुद मैदान में मोर्चा संभाल लिया। खुद प्रधानमंत्री मोदी जी ने इस 'भारत आटे' की ब्रांडिंग करने की उदारता दिखाई है।