पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बीच केंद्र सरकार ने 'सस्ता आटा, सस्ती दाल' लांच कर एक नेक काम किया है। सरकार की ये जनकल्याणकारी योजना है क्योंकि देश में अब एक तरफ अडानी का फार्च्यून आटा आम जनता का खून पी रहा है तो दूसरी तरफ़ अडानी की दाल। ऐसे में अडानी के कान खींचने के बजाय सरकार ने अपनी ही देशी सहकारी संस्थाओं को अडानी के मुकाबले मैदान में उतार दिया या यूं कहिये खुद मैदान में मोर्चा संभाल लिया। खुद प्रधानमंत्री मोदी जी ने इस 'भारत आटे' की ब्रांडिंग करने की उदारता दिखाई है।
सरकार का काम प्रशासन करना होता है या दाल-आटा बेचना?
- विचार
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- राकेश अचल
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- 7 Nov, 2023

राकेश अचल
चुनाव के समय 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन की योजना के विस्तार की घोषणा जब आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है तो मोदी ब्रांड भारत आटा बेचने से कौन से आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हो जाएगा?
केंद्र सरकार देशभर में 27.50 रुपए प्रति किलो की कीमत पर 'भारत आटा' उपलब्ध कराएगी। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने 6 नवंबर को दिल्ली में आटे के वितरण वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इसे 10 किग्रा और 30 किग्रा के पैक में उपलब्ध कराया जाएगा। मोदी जी देश के पहले उदार प्रधानमंत्री हैं जो चीनी पेटीएम से लेकर देशी भारत आटा बेचने तक के लिए अपनी तस्वीर के इस्तेमाल की इजाजत देते हैं। वे पांच किलो मुफ्त अन्न का थैला हो या कोरोना से बचाव के लिए लगाए गए टीके का प्रमाणपत्र, सभी जगह छपने के लिए राजी हो जाते हैं। इतना सहज, सरल और उदार प्रधानमंत्री कम से कम मैंने तो अपने जीवन में अभी तक नहीं देखा।