मिताली राज ने संन्यास लिया। बहुत कम महिलाओं ने ख़ास चर्चा की। पुरुषों ने थोड़ी-बहुत की, क्योंकि उन्हें क्रिकेट से लगाव है। विश्व महिला क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाली। दो दशक से लंबा करियर। सात हज़ार से अधिक एकदिवसीय रन।
अगर इस कद का कोई पुरुष क्रिकेटर रिटायर होता, तो अखबार से लेकर सोशल मीडिया रंग जाते।
मिताली राज के मामले में भी ठीक-ठाक रंगे गए, किंतु महिलाओं का ओवरऑल रिसपॉन्स ख़ास नहीं है। उन्हीं का है, जो पुरुष क्रिकेट में भी उतनी ही रुचि लेती हैं।
एक पुस्तक में मिताली राज का एक कथन है जो उन्होंने 2014 में कहा था- “मुझे लोग नाम से जानते हैं। मेरे बारे में खूब लिखा और पढ़ा भी जाता है। लेकिन मैं अगर किसी गली से गुजर जाऊँ, तो शायद मुझे लोग न पहचान पाएँ।”
83 फ़िल्म आयी। एक ख़ास सीन की खूब चर्चा हुई जब कपिल देव कहते हैं- What are we here for?
मैं इसी पुस्तक से एक अंश रखता हूँ- “(विश्व कप के लिए) इंग्लैंड जाने से पूर्व तुषार ने पूरे स्क्वैड को इकट्ठा किया। तुषार ने पूछा- Why are we here?”
मिताली ने तुरंत सभी की तरफ़ से कहा- We are here to win it!”
वही लॉर्ड्स का मैदान। अंतर यह था कि भारत मात्र 9 रन से फ़ाइनल हार गया। अन्यथा यह सीन मिताली पर भी फिट बैठता जो दो दशक तक संघर्ष कर आखिर टीम को फ़ाइनल तक ले गयी थी।
यह टीस उनके और अन्य कई खिलाड़ियों के मन में रही कि उनको महिला दर्शकों का सहयोग नहीं मिला। यह प्रश्न तो उठ ही सकता है कि जब पुरुष कहीं बेहतर खेलते हैं तो कोई महिला क्रिकेट क्यों देखे? खेल में भला क्या लिंग, क्या जाति, क्या धर्म? दूसरे देशों की खिलाड़ियों को भी कोई नहीं जानता।
मगर फिर भी…जानना तो जानते-जानते ही हो पाता है। 2009 में मिताली संन्यास ले सकती थी, मगर 2022 तक खेली। तभी लोग जान पाए। अब कम से कम यह सवाल तो खत्म हुआ कि मिताली है कौन?
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