भारत में मज़दूरों का माइग्रेशन (प्रवास) कोई नयी प्रक्रिया नहीं है। देश में लाखों की संख्या में कामगार गाँवों और छोटे कस्बों से छोटे-बड़े शहरों की ओर माइग्रेशन/प्रवास करते रहे हैं। ये कामगार रोज़गार और उसकी तलाश में बड़ी संख्या में एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते और आते रहते हैं। आँकड़ों पर ग़ौर करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार पूरे देश में कुल 43.4 करोड़ लोगों ने विभिन्न गतिविधियों (जैसे रोज़गार/काम, व्यवसाय, शिक्षा, शादी, इत्यादि) के लिए माइग्रेशन किया था। इन सभी तरह के माइग्रेशन में भारत में 10.7 करोड़ लोग ऐसे थे जो रोज़गार/काम करने के सिलसिले में एक स्थान से दूसरे स्थान पर गये थे।
यूपी, बिहार में प्रवासियों के लौटने से नई समस्या, क्या सरकार के पास योजना है?
- विचार
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- 6 Jun, 2020

भारत में मजदूरों का माइग्रेशन (प्रवास) कोई नई प्रक्रिया नहीं है। लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार में प्रवासियों के वापस लौटने से नई समस्या पैदा होगी। सरकार के पास योजना है?
इसी कड़ी में देखें तो रोज़गार के लिए प्रवास करने वाले लोगों की कुल संख्या का सर्वाधिक उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य से आते हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और पश्चिम बंगाल आदि राज्य से आते हैं। देश में कुल रोज़गार/काम करने के लिए हुए प्रवास में अकेले उत्तर प्रदेश से लगभग 23 प्रतिशत (1.23 करोड़) तथा बिहार से 14 प्रतिशत (74 लाख) व्यक्तियों ने प्रवास किया था। इस प्रकार देश की कुल प्रवासियों की संख्या का 37 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य से सम्बन्ध रखते हैं। ये आँकड़े लगभग 10 साल पुराने हैं और इन बीते वर्षों में इन राज्यों से प्रवासियों की संख्या में और भी वृद्धि हुई होगी।