महाराष्ट्र में 23 साल से राजनीति कर रही एनसीपी अपने सबसे ख़राब दौर से गुजर रही है। भतीजे अजित पवार की बगावत के बाद 83 साल के शरद पवार भी अपनी बची-खुची विरासत को बचाने के लिए दर दर भटक रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल कांग्रेस के नेता पूछ रहे हैं कि क्या कांग्रेस को अब एनसीपी को उसके हाल पर छोड़ देना चाहिये। राजनीतिक रणनीतिकार मानते हैं कि यह सबसे बेहतर मौका है जब एनसीपी की घड़ी को बंद कर देना चाहिये।
कांग्रेस को क्या अब एनसीपी को उसके हाल पर छोड़ देना चाहिए?
- विचार
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- 14 Jul, 2023

एनसीपी टूट गई है तो अब कांग्रेस को उसके साथ किस तरह का रिश्ता रखना चाहिए? जिस एनसीपी ने कांग्रेस को महाराष्ट्र में ख़त्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, क्या उसको अब भी साथ रहना चाहिए?
कांग्रेस की कीमत पर बढ़ी एनसीपी
महाराष्ट्र में एनसीपी हमेशा से कांग्रेस को धोखा देकर और उसके साथ ही बढ़ी है। सन 1991 में राजीव गांधी के निधन के बाद ही शरद पवार ने अपने इरादे साफ़ कर दिये थे और पहले तो वो पीएम बनने की नाकाम कोशिश करते रहे और बाद में 1999 में सोनिया गांधी को विदेशी महिला बताकर अलग होकर अपनी पार्टी बना ली। लेकिन 2004 आते-आते उनको समझ में आ गया कि कांग्रेस के बिना राज्य और देश दोनों में काम नहीं चलेगा, तब वो साथ आये लेकिन अंदर से लगातार कांग्रेस को कमजोर करने का मौक़ा देखते रहे।