माननीय आडवाणी जी,पता चला कि बाबरी मसजिद के ध्वंस के मामले में अदालत से बरी किए जाने से आप बेहद ख़ुश हैं। फ़ैसला आने के बाद आपने जय श्री राम का उद्घोष भी किया। ज़ाहिर है कि इस ऐतिहासिक मोड़ पर आपके अंदर का कारसेवक फिर जाग गया होगा। आप फिर से अट्ठाईस साल पहले अयोध्या के उस परिसर में पहुँच गए होंगे जहाँ पर बाबरी मसजिद मौजूद थी। वे दृश्य आपकी आँखों में तैरने लगे होंगे, जब बीसियों कारसेवक बाबरी मसजिद के गुंबद पर चढ़कर उस पर प्रहार कर रहे थे।
रामराज्य में क्या ऐसा न्याय होता होगा आडवाणी जी?
- विचार
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- 1 Oct, 2020

बाबरी मसजिद विध्वंस में अदालत द्वारा साज़िश के आरोपों से बरी किए जाने के बाद लाल कृष्ण आडवाणी ख़ुश हैं कि वह दोषमुक्त हो गए हैं, लेकिन क्या वह ख़ुद को दोषमुक्त मानते होंगे? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार खुला ख़त लिखकर उनसे पूछ रहे हैं...
चारों तरफ़ उन्माद भरा वातावारण था। आप भी उल्लास से भरे हुए थे। आख़िर वह ऐतिहासिक क्षण आप सबके समक्ष उपस्थित था, जिसकी प्रतीक्षा आप सभी को थी। आपके मन में कहीं एक खटका रहा होगा कि यह क़ानून सम्मत नहीं है, ऐसा नहीं होना चाहिए, मगर आपने इस खयाल को यह सोचते हुए झटक दिया होगा कि हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए ऐसा करना क़तई नाजायज़ नहीं होगा। इसीलिए आपने कारसेवकों को रोकने के लिए अधूरे मन से कुछ नेताओं को भेजा भी, मगर उनके असफल लौटने पर आपको संतुष्टि भी मिली। अपने मन को समझाने के लिए इतना काफ़ी था।