मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी आप के लिये इतिहास के एक चक्र के पूरा होने जैसा है। सिसोदिया न केवल सरकार में नंबर दो के मंत्री हैं बल्कि वो पार्टी में भी नंबर दो की हैसियत रखते हैं। लेकिन उनका महत्व सरकार और पार्टी से अधिक इस बात से है कि अन्ना और केजरीवाल के बाद वो भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के सबसे बड़े नेता थे। मनमोहन सरकार ने जब अन्ना और केजरीवाल को तिहाड़ जेल भेजा था तो सिसोदिया भी जेल गये थे। केजरीवाल के साथ उनकी दोस्ती मिथकीय है। वो तक़रीबन बीस साल से एक-दूसरे के जिगरी हैं। दोनों ने मिलकर अन्ना आंदोलन की रूपरेखा और रणनीति बनाई थी। चेहरे के तौर पर अन्ना का चुनाव भी दोनों ने मिलकर ही किया था। ये कह सकते हैं कि अन्ना आंदोलन के नायक अगर केजरीवाल थे तो सिसोदिया की भूमिका भी किसी नायक से कम नहीं थी। ऐसे में भ्रष्टाचार विरोधी नायक का भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाना त्रासद है, दुखद है और विरोधाभासी भी।