संयुक्त राष्ट्रसंघ में पाकिस्तान कोई मौका नहीं छोड़ता है। वह हर मौके पर कश्मीर का सवाल उठाए बिना नहीं रहता। चाहे महासभा हो, चाहे सुरक्षा परिषद या मानव अधिकार परिषद! पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष ने अत्यंत आपत्तिजनक बात कह डाली और कल पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने सुरक्षा परिषद में भारत पर हमला बोल दिया।
उसने कश्मीर का मसला उठाते हुए वहां हुए आंतरिक परिवर्तनों का विरोध किया। धारा 370 और 35 ए के खत्म होने से कश्मीरियों की अन्य भारतीयों जैसी जीवन-शैली बन जाएगी, इस पर पाकिस्तान ने कोई ध्यान नहीं दिया।
पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने यह नहीं बताया कि कश्मीर के आंतरिक परिवर्तनों से पाकिस्तान का क्या नुकसान हुआ? पाकिस्तान के लिए तो भारतीय कश्मीर पहले भी एक सपना था और अब भी एक सपना है। लेकिन बार-बार कश्मीर का रोना रोते देखकर कई विदेशी भी प्रभावित हो जाते हैं।
पीओके पर कब्जा
क्या कभी उन्होंने पाकिस्तान से भी कहा है कि 1948 में उसने जो आधे कश्मीर पर अवैध कब्जा कर रखा है, उसे वह खत्म करे और भारत को लौटाए? पाकिस्तान बार-बार कश्मीर के सवाल को संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाता है। पहले अमेरिका भी उसका समर्थन करता था लेकिन अब तो चीन भी उसके समर्थन में खुलकर नहीं बोलता है।
अब तुर्की और मलेशिया के अलावा कोई इसलामी देश पाकिस्तान को भाव नहीं देता है। कश्मीर का सवाल बार-बार उठाकर पाकिस्तान दुनिया भर के देशों को मौका देता है कि वे आतंकवाद के लिए उसकी निंदा करें। कश्मीर की माला जपने से उसे फायदा होने की बजाय नुकसान ज्यादा होता है। सारी दुनिया में उसे आतंकवाद का गढ़ समझा जाता है।
पाकिस्तान के नेताओं को पता है कि दुनिया का कोई भी संगठन या राष्ट्र कश्मीर की समस्या हल नहीं करवा सकता है।
पाकिस्तान को यह भी पता है कि वह हजार साल भी रोता-चिल्लाता रहे तो भी कश्मीर पर उसका कब्जा नहीं हो सकता। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान का भला इसी में है कि वह कश्मीर पर भारत से सीधी बात शुरु करे। यह मामला दोनों कश्मीरों का है।
कश्मीरियों की आजादी
सभी कश्मीरी अपने आप को आजाद महसूस करें, यह जरुरी है। पाकिस्तान ने क्या अपने कश्मीरियों को सचमुच आजाद रहने दिया है? यदि सचमुच वह कश्मीर आजाद होता तो भारत को नीचा देखना पड़ता लेकिन पाकिस्तानी कश्मीर की दशा भी दयनीय है।
भारत और पाकिस्तान बैठकर दोनों कश्मीरों के बारे में कोई बीच का रास्ता निकालें यह जरुरी है।
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