‘नानावटी आयोग ने मोदी को क्लीन चिट दी’, कुछ दिन पहले सारे अख़बारों में यह ख़बर प्रमुखता से छपी थी। पिछले 12 साल में आयोग के ट्रैक रिकार्ड को देखते हुए किसी बेवक़ूफ़ को ही यह उम्मीद रही होगी कि आयोग कुछ अलग फ़ैसला देगा। नानावटी आयोग को यह ज़िम्मेदारी दी गयी थी कि वह 27 फ़रवरी, 2002 के दंगे और साबरमती एक्सप्रेस में लगी आग के मामले की जाँच-पड़ताल करे। जिस भी व्यक्ति ने आयोग की बैठकों में हिस्सा लिया था उसको इस बात का एहसास था कि आयोग की दिलचस्पी सच का पता लगाने में कभी भी नहीं थी।