शेषाद्रि चारी ने मोदीजी के ‘भारतीय आत्मनिर्भरता’ पर एक लेख लिखा है। यह लेख print.in में छपा है। उनका कहना है कि मोदी जी का विचार वही है जो- गाँधीजी के आधुनिकीकरण का था- हाँ, पश्चिमी निर्भरता- नहीं’। शेषाद्रि चारी आरएसएस से जुड़े हैं। उनकी बातें खोखली और अर्थहीन हैं। उन्होंने कहा कि ‘स्वदेशी को मज़बूत स्थानीयकरण (robust localisation) और अपरिहार्य वैश्वीकरण (inevitable globalisation) के बीच एक पुल के रूप में देखा जाना चाहिए, क्योंकि ये एक-दूसरे के पूरक हैं, विरोधी नहीं’, और ‘आत्मनिर्भरता का मतलब अंतरराष्ट्रीय व्यापार से कट जाना नहीं है। भारत को देशीय क्षेत्रों का खयाल रखते हुए दुनिया के साथ भी गंभीरता से जुड़ना होगा, ऐसे में भारतीय शासन प्रणाली को सुव्यवस्थित करके अपने घरेलू उद्योग को मज़बूत करना आवश्यक है। स्वदेशी को अलगाव नहीं समझा जाना चाहिए।’