जवाहरलाल नेहरू को याद करना, उनके किये-कहे को गुनना- समझना क्यों ज़रूरी है, यह शायद अब किसी को समझने या समझाने की ज़रूरत नहीं है। कंगना रनौत ने नवंबर, 2021 में ठीक फ़रमाया था कि असली आज़ादी 2014 में मिली। दरअसल, वह संघी जमात की असली आज़ादी की बात कर रही थीं। यह साफ़ है कि जब संघ के लोग देश की बात करते हैं तो उस देश के आहाते से बहुत सारे तबके बाहर रखे जाते हैं। अल्पसंख्यक, दलित, पिछड़े और हर तरह के हाशिये पर पड़े लोग। विभाजन के इन असली पैरोकारों ने, हर तरह के विभाजनों की अपनी विशेषज्ञता करीने से संभाल कर रखी है। कहने की ज़रूरत नहीं कि ये उसी की खा रहे हैं।