हाल ही में हैदराबाद में एक महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले ने देश में स्त्री सुरक्षा की लचरता को नंगा करके रख दिया है। यह बेहद दुख और शर्म की बात है कि ‘यत्र नारीयस्तु पूज्यते’ जैसी स्त्री सम्मान की बड़ी-बड़ी दलीलों और भारत सरकार के 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' जैसे बड़बोले कार्यक्रमों के बाद भी बलात्कार और यौन हिंसा के मामलों में कोई कमी नहीं आयी है।
हैदराबाद रेप-हत्याकांड: 'मॉब जस्टिस' की माँग क्यों, भीड़ से न्याय कैसे संभव?
- विचार
- |
- |
- 3 Dec, 2019

हाल ही में हैदराबाद में एक महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले ने देश में स्त्री सुरक्षा की लचरता को नंगा करके रख दिया है।
पुलिस और मीडिया ने ग़ैर-ज़िम्मेदाराना व्यवहार करते हुए एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट की 2018 में जारी की गयी गाइडलाइन को पूरी तरह दरकिनार करते हुए मृतका के जले हुए शव के फोटो, उनकी अन्य तसवीरें और नाम सार्वजनिक किया।
जैसा कि अपनेआप में एक ट्रेंड बन चुका है, तुरंत ही ये तसवीरें उनके नाम और पहचान के साथ पूरे सोशल मीडिया में फैल गईं और अनेक प्रकार की प्रतिक्रियाओं का सिलसिला चल निकला। जहाँ एक ओर एक मशहूर लेखक एवं महिला पुलिस अफ़सर की ‘लड़कियों को यौन हिंसा से बचने के उपाय’ वाली पोस्ट वायरल हो गयी वहीं दूसरी ओर कुछ असामाजिक तत्वों ने बलात्कारियों की पहचान होते ही उनमें से एक अल्पसंख्यक को मुख्य अभियुक्त क़रार देते हुए इस पूरी घटना को एक साम्प्रदायिक रंग देने की भी कोशिश की।