दिल्ली में बहादुर शाह ज़फर रोड से दिल्ली गेट होते हुए तुर्कमान गेट के बीच पसरे रामलीला मैदान में अभी सन्नाटा सा पसरा हुआ है, लेकिन यह वो ऐतिहासिक मैदान है जहाँ हुई एक राजनीतिक रैली ने देश में सबसे ताक़तवर प्रधानमंत्री माने जाने वाली श्रीमति इंदिरा गाँधी को इस क़दर अंदर तक हिला दिया था कि उन्होंने बिना देर किए देश पर इमरजेंसी लगा दी। कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता की सिर्फ़ दो लाइनों को नारों की तरह गूंजाती कई लाख लोगों की भीड़ ने सच में इंदिरा गाँधी की कुर्सी हिला दी थी। 25 जून 1975 की शाम रामलीला मैदान में गूँज रहा था- ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’। मंच पर कुर्सी पर एक बूढ़ा नेता था लोकनायक जयप्रकाश नारायण, जिन्हें बाद में दुष्यंत कुमार ने ‘अंधेरे कमरे में रोशनदान’ कहा था। लेकिन इंदिरा गाँधी ने कुर्सी खाली नहीं की बल्कि सिंहासन को पूरी तरह से अपने क़ब्ज़े में लेने का प्लान बना लिया और देश को रात के स्याह अंधेरे में छोड़ दिया।