राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने अक्टूबर की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर का दौरा किया। नव-निर्मित केंद्र-शासित क्षेत्र की यह उनकी पहली यात्रा थी। जम्मू में एक सेमिनार में उन्होंने कहा कि 'क्षेत्र की व्यवस्था बदले, इसके लिए ज़रूरी है कि उसके पहले लोगों की मानसिकता बदले।'
कश्मीर में चुप्पी ख़तरनाक है!
- विचार
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- 19 Oct, 2021

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने और विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद से गजब की चुप्पी क्यों छाई हुई है? क्या यह तूफान के पहले की शांति है?
दो साल पहले जब स्थानीय लोगों की सहमति के बग़ैर ही जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म कर दिया गया था और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में बाँट दिया गया था, उस समय से ही चारों ओर इसके संकेत मिल रहे हैं कि लोगों का 'हृदय परिवर्तन' हो गया है। लेकिन यह हृदय परिवर्तन वैसा नहीं हुआ है जैसा भागवत चाहते हैं।
5 अगस्त 2019 को अनु्च्छेद 370 और 35 'ए' को रद्द कर दिया गया, उस समय से ही पूर्व का यह राज्य एक अजीब चुप्पी में डूबा हुआ है। लेकिन नव निर्मित केंद्र शासित क्षेत्र लद्दाख के बौद्ध-बहुल ज़िले लेह में हर्षोल्लास छा गया। हिन्दू-बहुल जम्मू में भी थोड़ी बहुत खुशी देखी गई।