अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नरेंद्र मोदी को फ़ादर ऑफ़ इंडिया कहकर एक नई बहस छेड़ दी है। महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता कहा जाता है, इसलिए यह बहस तीखी हो गई कि नरेंद्र मोदी, महात्मा गाँधी की जगह कैसे ले सकते हैं। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप पश्चिमी समाज के नेता हैं, इसीलिए उन्होंने महात्मा गाँधी जैसे ही नरेंद्र मोदी को भी फ़ादर ऑफ़ इंडिया कह दिया, जबकि सच यही है कि भारत में जिस तरह से देश की परिकल्पना है, उसमें फ़ादर ऑफ़ द नेशन जैसा कुछ हो ही नहीं सकता। डोनाल्ड ट्रंप के कहे के लिहाज़ से किसी देश का अतिप्रभावशाली नेता फ़ादर ऑफ़ द नेशन हो जाता है। डोनाल्ड ट्रंप के कहे से यह बहस फिर से ज़िंदा हो गई है कि दुनिया के महानतम नेताओं में से एक महात्मा गाँधी के बाद भारत में कौन है। इस सवाल का जवाब बहुत कठिन है, लेकिन इक्कीसवीं शताब्दी में दुनिया में अपनी छाप छोड़ने वाला भारतीय राजनेता मिल गया दिखता है।

लम्बे समय तक गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के दौरान और उसके बाद देश के प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी आमजन के मुद्दों को जिस तरह से छूते हैं और उसे अभियान के तौर पर लेते हैं, वैसा गाँधी के बाद किसी नेता ने नहीं किया। यही वजह है कि महात्मा गाँधी के बाद नरेंद्र मोदी आज़ाद भारत के सबसे बड़े करिश्माई, जनाधार वाले नेता के तौर पर उभर रहे हैं।
मोहनदास करमचंद गाँधी भारत के ही नहीं विश्व के महानतम नेताओं में से हैं। ऐसे नेता जिनके आसपास भी पिछले दशक से इस दशक तक कोई पहुँच नहीं सका है। गाँधीजी के व्यक्तित्व के आयाम इतने विस्तृत हैं कि गाँधी से तुलना छोड़िए, ‘गाँधी के बाद कौन’ सवाल का जवाब भी पूछना साहस का काम है, लेकिन मुझे लगता है कि बदलते समय के साथ ‘गाँधी के बाद कौन’ सवाल का जवाब ख़ुद ब ख़ुद मिल रहा है। मोहनदास करमचंद गाँधी से महात्मा गाँधी बनने की यात्रा में गाँधीजी ने ऐसे ढेर सारे पड़ावों को पार किया, जिनमें से एक भी पड़ाव किसी के जीवन यात्रा में पार हो जाएँ तो उसे महान कहा जा सकता है। अँग्रेज़ों की ग़ुलामी, अत्याचार के दौर में बैरिस्टर गाँधी से महात्मा गाँधी की यात्रा लीक से अलग हट कर और उस पर अमल करते हुए सफलता तक पहुँचने की भी है।