हाल ही में संपन्न हुए बिहार विधानसभा के चुनावों के लिए किये गये ओपिनियन और एग्ज़िट पोल औंधे मुँह गिर गये। यह लेख बस आप को ये याद दिलाने के लिए लिख रहा हूँ कि ओपिनियन और एग्जिट पोल पर विश्वास क्यों नहीं करना चाहिए। भारत के बुद्धिजीवियों और चैनलों में कितनी योग्यता है यह भी इस लेख से समझ में आ जाएगा।
क्यों विश्वसनीय नहीं होते ओपिनियन और एग्ज़िट पोल?
- विचार
- |
- |
- 22 Nov, 2020

इन ओपिनियन और एग्ज़िट पोल में सबसे अवैज्ञानिक तथ्य यह है कि डेटा इकट्ठा करने के लिए मीडिया हाउस द्वारा काम पर रखी गई एजेंसी डेटा एकत्र करने में शामिल वैज्ञानिक सिद्धांतों का सार्वजनिक तौर पर खुलासा नहीं करती है। दूसरी ओर समाज से इकठ्ठा किए गये आकड़ों के विश्लेषण और उसकी भविष्यवाणी में शामिल वैज्ञानिक सिद्धांतों को भी नहीं बताती है।
मीडिया चैनलों में सवर्ण और बिना आरक्षण के व्यक्ति ही ज्ञान देते हैं। परन्तु आश्चर्य की बात यह है कोई भी इन ओपिनियन और एग्ज़िट पोल के इतना अधिक ग़लत होने पर डिबेट नहीं कर रहा है। कोई भी इसकी आलोचना नहीं कर रहा है।
प्रो. विवेक कुमार नयी दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में समाज विज्ञान के प्रोफ़ेसर हैं।