कश्मीर की जनता ने लोकतंत्र और संविधान में आस्था जता कर फ़ासिस्टों के मुँह पर थप्पड़ जड़ दिया है।
डीडीसी चुनाव : फ़ासिस्टों के मुँह पर थप्पड़!
- विचार
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- 25 Dec, 2020

मैं यह सकता हूं कि देश के लोगों को यह समझना चाहिए कि कश्मीरी हिंसा का समर्थन नहीं करते, धर्मनिरपेक्ष भारत में आस्था रखते हैं। इसके साथ ही भारत सरकार को यह समझना चाहिए और मान लेना चाहिए कि कश्मीर राजनीतिक समस्या है। उसे संविधान के तहत इसका सबको स्वीकार्य समाधान ढूंढना चाहिए।
देश के शासकों ने बीते 30 साल में कश्मीर के लोगों को कोने में धकेल कर सबसे अलग-थलग कर दिया है। संविधान के अनुच्छेद 370 और 35 'ए' को रद्द कर कश्मीर के लोगों को कई महीनों तक अपने घरों में बंद कर दिया गया जैसे पिंजड़े में बंद किया जाता है। यह अवधारणा बना दी गई कि कश्मीर के लोग पत्थरबाज और देशद्रोही हैं। हाल यह हो गया कि एक आम कश्मीरी को राज्य के बाहर किसी होटल में कमरा लेने में दिक्क़त होने लगी। कश्मीरी युवकों को ख़ास कर पुलवामा हमले के बाद देश के दूसरे हिस्सों में परेशान किया जाने लगा।