कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने अपने पत्रों और साक्षात्कारों में कांग्रेस पार्टी के पुनरुत्थान के लिए लोकतांत्रिक बदलाव लाने का आह्वान किया है। उन्होंने 'पार्टी के हालात पर अफ़सोस जताया और कहा कि कांग्रेस को जनता ने बीजेपी के सामने 'प्रभावी विकल्प' के रूप में नहीं देखा। वह ऊपर से नामांकन के बजाय नेताओं के चयन, सामूहिक नेतृत्व और लोकतांत्रिक प्रक्रियाएँ चाहते हैंI
भारतीय राजनीति में अब कांग्रेस के दिन पूरे हो गये?
- विचार
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- 19 Nov, 2020

कपिल सिब्बल और अन्य लोगों के मायूसी और उदासी भरे विलाप के बावजूद कांग्रेस के लिए कोई भविष्य नहीं देखा जा सकता है। भारत में ज़्यादातर लोग वोट बैंक के रूप में वोट करते हैं लेकिन कांग्रेस अब किस जाति या धर्म का प्रतिनिधित्व करती है? मेरे विचार में किसी का नहीं। भले ही इसके नेतृत्व में बदलाव हो और लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनायी जाए, जैसा कि कपिल सिब्बल की माँग है, इससे क्या फर्क पड़ेगा?
दूसरे लोग राहुल गांधी को 'आक्रामक और प्रभावशाली' भावना की कमी के लिए ज़िम्मेदार ठहराते हैं और कहते हैं कि कांग्रेस का नेतृत्व कमज़ोर हो गया है। अन्य कई लोग कहते हैं कि कांग्रेस की केंद्र और राज्य इकाइयों में तालमेल नहीं हैI