भारत को विश्व गुरु बनाने के नाम पर भोली जनता को ठगने वालों ने उस जनता के साथ बहुत बेरहमी की है। विश्व गुरु भारत आज मणिकर्णिका घाट में बदल गया है। जिसकी पहचान बिना ऑक्सीजन से मरे लाशों से हो रही है। अख़बार लिख रहे होंगे कि दुनिया में भारत की तारीफ़ हो रही है। आम और ख़ास हर तरह के लोगों को अस्पताल के बाहर और भीतर तड़पता छोड़ दिया है। शनिवार को लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार विनय श्रीवास्तव ट्विटर पर मदद मांगते रहे। बताते रहे कि ऑक्सीजन लेवल कम होता जा रहा है। कोई मदद नहीं पहुँची और विनय श्रीवास्तव की मौत हो गई। धर्म की राजनीति के नाम पर लंपटों की बारात सजाने वाले इस देश के पास एक साल का मौक़ा था। इस दौरान किसी भी आपात स्थिति के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था को तैयार किया जा सकता था। लेकिन नहीं किया गया। इस बार की हालत देखकर लगता है कि भारत सरकार ने कोविड की लहरों को लेकर कोई आपात योजना नहीं बनाई है। दरअसल, अहंकार हो गया है और यह वास्तविक भी है कि लोग मर जाएँगे फिर भी धर्म के अफीम से बाहर नहीं निकलेंगे और सवाल नहीं करेंगे।