महाभारत का युद्ध सिर्फ़ कौरवों और पांडवों के बीच नहीं था। यह सत्य और असत्य के बीच था। यह न्याय और अन्याय के बीच था। यह संसाधन और संसाधन-विहीनता के बीच था। यह अहंकार और विनम्रता के बीच था। यह लूट और भागीदारी के बीच था। यह तानाशाही और लोकतंत्र के बीच था। यह सत्ता लोलुपता और राजधर्म के बीच था।
टूटे लोकतंत्र के मंदिर को जोड़ने की यात्रा
- विचार
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- 29 Mar, 2025

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा आख़िर क्यों निकाली जा रही है और इसका असल मक़सद क्या है? पढ़िए, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के सलाहकार संदीप सिंह की टिप्पणी।
आज हजारों साल बाद हिंदुस्तान की धरती बदली हुई परिस्थितियों में उसी तरह के चक्रव्यूह में फँस गई है। भारत के लोकतंत्र से उसकी सारी संस्थाएँ छीन ली गई हैं। अकूत संपत्ति और संसाधनों पर दो-चार लोगों का कब्जा है और चाहे मीडिया हो, चाहे क़ानून प्रवर्तक संस्थाएँ हों, अदालतें हों या दूसरी संवैधानिक संस्थाएँ- सभी को या तो पंगु बना दिया गया है या फिर उन्हें 'पिंजरे का तोता' बनाकर उनसे मनमाना शिकार करवाया जा रहा है।