दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने राजधानी में 18 साल से 45 साल तक के लोगों के लिए वैक्सीन लगाने के कार्यक्रम को फ़िलहाल स्थगित कर दिया है। उनका कहना है कि अभी सरकार के पास पर्याप्त स्टॉक नहीं है। यानी इसका राजनीतिक मायने यह है कि केन्द्र सरकार वैक्सीन देने में नाकाम रही है। माने एक बार फिर केन्द्र और दिल्ली सरकार आमने-सामने हैं।
आख़िर केंद्र राज्यों की क्यों नहीं सुनता?
- विचार
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- 23 May, 2021

पिछले साल मार्च में जब केन्द्र सरकार ने पहली बार देश भर में लॉकडाउन लगाया था तब उसकी यह कह कर खासी आलोचना हुई थी कि उसने इस मसले पर राज्य सरकारों को विश्वास में नहीं लिया। अब इस बार यह ज़िम्मेदारी जब राज्यों पर सौंप दी गई है तो कहा जा रहा है कि केन्द्र को इस पर फ़ैसला करना चाहिए।
कोरोना पर काबू पाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच बातचीत किसी नतीजे पर पहुँचने के बजाय आपसी राजनीति और विवादों का हिस्सा बनती जा रही है। आमतौर पर कहा जाता है कि एक और एक मिल कर जब ग्यारह हो जाते हैं तो किसी भी लड़ाई को जीता जा सकता है, लेकिन यहाँ उलट हो रहा है, होने को तो 11 हैं लेकिन आपसी राजनीतिक झगड़ों से टूट कर, बिखर कर अलग-अलग एक-एक हो गए हैं यानी कोरोना के ख़िलाफ़ मज़बूती से लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी की झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की फ़ोन पर बातचीत का मसला और फिर ज़िलाधिकारियों के साथ पीएम की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बोलने नहीं देने का आरोप सामने आया था।