जबसे भारतीय जनता पार्टी 2024 का लोकसभा चुनाव हारी है, तबसे देश भर में लोग यह सवाल कर रहे हैं कि आखिर भाजपा ‘अयोध्या’ (फैजाबाद लोकसभा सीट) से कैसे हार गई? जबकि भाजपा के लिए यह पहला अवसर नहीं है कि वह फैजाबाद की लोकसभा सीट हारी हो। भाजपा तो 2012 में अयोध्या विधानसभा सीट भी हारी है।
राम मंदिर आंदोलन के बावजूद भाजपा के हाथ से कैसे निकली अयोध्या?
- विचार
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- 8 Aug, 2024

राम मंदिर आंदोलन चलाने से लेकर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कराने के बावजूद बीजेपी अयोध्या से दूर कैसे हो गई? आख़िर किन वजहों से समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने जीत हासिल की?
चुनाव के पहले जिस प्रकार से अयोध्या में नवनिर्मित राममंदिर के लोकार्पण और नयी बालक राम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए तैयारियां चल रही थीं, राज्य सरकार और केन्द्र सरकार अयोध्या को ‘स्वर्ग’ बनाने में लगी थी, सड़क, सजावट, पार्किंग, पेंटिंग और अन्य कार्यों के लिए हजारों करोड़ की योजनाओं के लिए पैसा पानी की तरह से बहाया जा रहा था उससे लोगों को आश्चर्य ज़रूर हो रहा है कि इन सबके बावजूद भाजपा फैजाबाद लोकसभा से कैसे हार गई? 35 हजार करोड़ तो सिर्फ उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाएं चल रही हैं। लोगों के दुःख तकलीफों की चिंता किए बगैर लोगों के घर-दुकानें तीन मार्गों के चौड़ीकरण और सौन्दर्यीकरण के लिए ढहायी जा चुकी थीं। भाजपा और विश्व हिन्दू परिषद की ओर से पूरे देश भर से श्रद्धालुओं को अयोध्या लाकर दर्शन कराने की योजना बनी थी। रेलगाड़ियां, बसों की संख्या कई गुना कर दी गई थी जिससे लोग आयें और स्मृतियां लेकर जायें। प्राण प्रतिष्ठा के बाद से बाहर से आने वालों का आकर्षण बहुत अधिक रहा। सम्भवतः इसी आकर्षण को ध्यान में रखकर 2023 के कई विधानसभा चुनाव में भी गृहमंत्री और भाजपा के कई नेताओं ने पहली जनवरी को अयोध्या आने का न्यौता बांट डाला था कि आपलोग अभी से अयोध्या के लिए रिजर्वेशन करा लें। वहीं राममंदिर के लिए श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से बांटे गए न्यौते को लेकर भी भाजपा ने राजनीति करके विपक्ष को घेरने का काम किया।