आम आदमी पार्टी को भारी जीत की उम्मीद थी। लेकिन मामूली जीत हाथ लगी। वैसे, जीत तो जीत होती है। लेकिन दिल्ली के एमसीडी चुनाव में आप की जीत केजरीवाल के माथे पर चिंता की कई लकीरें लेकर आयी है। कई एग्ज़िट पोल आप को 170 सीट तक मिलने की संभावना जता रहे थे। लेकिन हाथ लगी कुल 134 सीट। और बीजेपी जिसके बारे में कहा जा रहा था कि वो बुरी हार की तरफ़ बढ़ रही है, उसने सभी संभावनाओं को धता बताते हुये 104 सीटें हथिया ली है। और अब वो दावा कर रही है कि एमसीडी में मेयर तो उसका ही होगा यानी चुनाव की मतगणना ख़त्म होने के पहले ही ‘ऑपरेशन लोटस’ का इशारा हो गया है।

क्या एमसीडी में आप की जीत अरविंद केजरीवाल के लिए खुशी लेकर नहीं, मुश्किलें लेकर आई है? जानिए, क्यों ये मुश्किलें सिर्फ़ एमसीडी मामले में ही नहीं, बल्कि उसके भविष्य की राजनीतिक के लिए भी क्यों है।
आप और बीजेपी के बीच वोटों का फ़ासला सिर्फ़ तीन फ़ीसदी का है। बीजेपी को 39% और आप को 42% वोट मिले। दिल्ली में अगर लोकसभा के वोटों को छोड़ दिया जाये तो 2013 के बाद ये बीजेपी को मिलने वाले सबसे अधिक वोट हैं। 2015 में उसे 32% वोट तो 2017 में एमसीडी में 36%, 2020 के विधानसभा चुनाव में 38% और 2022 में 39% वोट मिले। यानी बीजेपी लगातार अपने वोट बढ़ा रही है।