कुछ समय से चल रही आशंकाओं और अनिश्चितताओं का संसद ने विधिवत निर्मूलन कर दिया है। संविधान के अनुच्छेद 370 में समूल परिवर्तन कर उसका प्रयोजन ही समाप्त कर दिया गया। वैसे राष्ट्रपति महोदय के आदेश 2019 के बाद अनुच्छेद 370 में कुछ बच नहीं गया था। पर सांकेतिक कारणों से उसका समापन भी आवश्यक था। जब वचन दिया था कि अनुच्छेद 370 ख़त्म करेंगे तो वचन का पालन भी होना चाहिए था और हो भी गया। पर इन दो दिनों में टीवी चैनलों और वेबसाइट पर एक अजीब सा वैचारिक द्वन्द्व दिखा। समझ नहीं आ रहा था कि इस कार्य की प्रशंसा करें या विरोध?