loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
56
एनडीए
24
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
233
एमवीए
49
अन्य
6

चुनाव में दिग्गज

पूर्णिमा दास
बीजेपी - जमशेदपुर पूर्व

जीत

चंपाई सोरेन
बीजेपी - सरायकेला

जीत

गदर के नायक खान बहादुर खान को कब मिलेगा सम्मान 

केंद्र सरकार और बिहार सरकार ने 1857 के महान क्रांतिकारी बिहार के बाबू कुंवर सिंह को याद किया। बाबू कुंवर सिंह अंग्रेजों से बहादुरी से लड़े और वीरगति पाई। उनके योगदान को हमेशा हमें याद रखना चाहिए। ऐसी शख्सियतों को याद किया जाना और उन्हें नमन किया जाना सही बात है। 

हम लोगों में शहीदों के प्रति कृतज्ञता का भाव रहना ही चाहिए। 

1857 के गदर के नायकों में ऐसा ही एक नाम बरेली जिले के नवाब खान बहादुर खान का है। बाबू कुंवर सिंह, लक्ष्मी बाई, तांत्या टोपे की तरह वे भी अंग्रेजों से पूरी बहादुरी से लड़े। एक दिन पकड़े गए और उनको शहर के बीचो बीच पेड़ से लटका कर फांसी दे दी गई। 

ताज़ा ख़बरें

10 मई, 1857 को मेरठ से गदर की हवा बही। तब 31 मई, 1857 को खान बहादुर खान ने बरेली की हुकूमत संभाल ली और अंग्रेजों को नैनीताल की तरफ भगा दिया। उन्होंने शोभाराम कायस्थ को अपना दीवान बनाया और सेना की कमान मदार खां को सौंपी। गदर के बाद इन दीवान शोभाराम को अंग्रेजों ने कालापानी की कठोर सजा दी। 

उधर, दिल्ली में बहादुर शाह जफ़र ने बरेली के सूबेदार बख्त खां को बुलवा लिया और अपने बेटे मिर्जा मुगल की जगह उन्हें दिल्ली में जमा हुई विद्रोहियों की फौज का सेनापति बना दिया। इससे नवाब खां की फौजी पोजीशन कमजोर हो गई। पड़ोसी रामपुर के नवाब तो पहले से अंग्रेजों के मददगार बने हुए थे। 

जब 14 मार्च, 1858 को क्रांतिकारी लखनऊ भी हार गए तो बचे खुचे क्रांतिकारी खान बहादुर के यहां बरेली आ गए। गदर के शुरू होने के करीब एक साल बाद 6 मई, 1858 को अंग्रेज़ी सेना आखिरकार बरेली में घुस गई और खान बहादुर खां का शासन खत्म हो गया। वे 11 महीने चार दिन ही नाजिम रह सके। 

पर खान बहादुर खान की हिम्मत नहीं टूटी। वे पड़ोसी जिले शाहजहांपुर चले गए और वहां के शासक मौलवी अहमद उल्ला शाह की मदद से विद्रोह की आग को बरकरार रखा। अंग्रेज सेनापति कॉलिन कैम्पबेल की सेना ने 24 मई, 1858 को शाहजहांपुर भी जीत लिया। तब नवाब खान बहादुर खां को अपनी सहयोगी मम्मू खां और बेगम हजरत महल के साथ नेपाल के बुटवल में शरण लेनी पड़ी। 

1857 revolt hero Khan Bahadur Khan - Satya Hindi
वीर बाबू कुंवर सिंह।

नेपाल के राजा जंग बहादुर ने हजरत महल और बिरजिस कदर को तो रहने दिया लेकिन खां बहादुर खां को बंदी बना लिया। इससे पहले नवाब खान बहादुर को सलाह दी गई कि वे नेपाल से निकल कर अरब चले जाएं लेकिन खान बहादुर ने इसको नकार दिया। उनके पहले के साथी और मुगलिया फौज का सेनापति बख्त खां तो पहले ही अफगानिस्तान चले गए थे। पर खान बहादुर ने इस मशविरे को ठुकरा दिया। 

बंदी बने खान बहादुर खां अंग्रेजों को सौंप दिए गए। उन पर मुकदमा चला और फांसी की सजा मुकर्रर की गई।

बरेली छावनी के कारागार में बंद खान बहादुर खां को जब डेथ वारंट सुनाया गया तो उन्होंने कहा, “यह सच है कि मैंने यूरोपियन के कत्ल किए, मैं इस मकसद के लिए ही पैदा किया गया था। मैंने सैकड़ों अंग्रेज कुत्तों का कत्ल किया है। ये कारे खैर था और मैं उस पर फख्र करता हूं।“ 

जनता के सामने दी गई फांसी

24 मार्च, 1860 को शनिवार सुबह सात बजकर दस मिनट पर बरेली की जनता के सामने बरेली कोतवाली में इस महान क्रांतिकारी को फांसी पर लटका दिया गया। एक घंटे तक उनका शरीर फांसी पर झूलता रहा। बाद में शव को जेल के भीतर बनाई गई कब्र में दफना दिया गया ताकि लोग उनकी मजार न बना दें। 

विचार से और खबरें

हाल ही में 1857 की क्रांतिकारी रानी लक्ष्मी बाई के शहर झांसी के रेलवे स्टेशन का नाम बदल कर वीरांगना लक्ष्मीबाई कर दिया गया। आज बाबू कुंवर सिंह को सम्मान मिला। आशा की जानी चाहिए कि इस कड़ी में अब अगला नंबर नवाब खान बहादुर खान का होना चाहिए। 

नवाब खान बहादुर खान संबंधी सभी तथ्य, लेखिका जेबा लतीफ़ की किताब, “नबाव खान बहादुर खां (1857, रूहेला विरासत के संदर्भ में)” से लिए गए हैं। यह किताब 2004 में रामपुर रज़ा लाइब्रेरी, रामपुर ने प्रकाशित की थी। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
शोभित जायसवाल
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें