यौन उत्पीड़न का सामना कर रहे विदेश राज्य मंत्री एम.जे.
अकबर को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा है। कई महिला पत्रकारों की ओर से यौन शोषण और दुर्व्यवहार का आरोप लगाए जाने के बाद उन पर इस्तीफ़े को लेकर दबाव बढ़ गया था। कांग्रेस ने भी उनके इस्तीफ़े की मांग की थी। एम जे अकबर के ख़िलाफ 14 महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। इनमें कुछ आरोप तो काफ़ी गंभीर भी थे। इन आरोपों के बाद विपक्षी दलों की तरफ से भी और सोशल मीडिया पर भी अकबर के इस्तीफ़े की मांग लगातार तेज़ हो रही थी। अकबर ने इस्तीफ़े के बाद बयान दिया कि मैं अदालत में न्याय के लिए गया हूं। ऐसे में मेरा पद से इस्तीफा दे देना उचित है। मैं इन झूठे आरोपों के खिलाफ लड़ाई लड़ूंगा।
अकबर के ख़िलाफ़ पहला आरोप प्रिया रमानी ने लगाया था। हालांकि उन्होंने अकबर के आरोपों को लेकर एक लेख 'वोग' पत्रिका में पिछले साल लिखा था। उसमें उन्होंने अकबर का नाम नहीं लिया था। लेकिन अभी हाल में फ़िल्म अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने #MeToo अभियान की शुरुआत की तो रमानी ने अपना वही लेख फिर से ट्वीट कर दिया। इसी की प्रतिक्रिया में अकबर के साथ काम कर चुकी कई महिला पत्रकारों ने अकबर के हाथों हुए यौन उत्पीड़न के अनुभव साझा शुरू कर दिए। इस्तीफ़े की ख़बर आते ही प्रिया रमानी ने ट्वीट किया- ‘अकबर के इस्तीफे के बाद हम सही साबित हो रहे हैं। अब उस दिन का इंतजार है, जब हमें अदालत में न्याय मिलेगा।’
अकबर ने प्रिया के ख़िलाफ़ मानहानि का मुकदमा किया है। उनकी तरफ से 97 वकीलों का वकालतनामा पेश किए जाने की भी जमकर आलोचना हुई थी।
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