राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में घमासान मचा
हुआ है, इस
सबके बीच शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने शरद पवार से मुलाकात
की। मुलाकात के बाद राउत ने सोमवार को दावा किया कि पवार ने उनसे कहा है कि एनसीपी
बीजेपी के साथ हाथ नहीं मिलाएगी, लेकिन कुछ विधायक हैं जिन पर दबाव बनाया जा रहा है, और वे
पाला बदल सकते हैं।
एनसीपी में सत्ता संघर्ष की लड़ाई चल रही है। इस
लड़ाई में शरद पवार के सामने हैं उनके भतीजे और महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता
अजित पवार, अब यह संघर्ष निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है।
महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अजित पवार भाजपा के साथ गठबंधन
करने के इच्छुक हैं, और अपनी इस इच्छा को लेकर पार्टी प्रमुख शरद पवार को भी
सूचित कर दिया है।
हालांकि अजित पवार ने इन अटकलों को खारिज कर दिया है।
शनिवार की रात मुंबई पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने से भी इनकार कर
दिया।
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पवार के साथ हुई बैठक का जिक्र
करते हुए संजय राउत ने कहा कि पवार ने उनसे कहा कि सीबीआई, ईडी, आर्थिक अपराध शाखा और पुलिस की
मदद से शिवसेना को तोड़ा गया था, वैसी ही
कोशिश अब एनसीपी को तोड़ने के लिए की जा रही है। हम पर दबाव है, धमकियां दी जा रही हैं, इसके बाद भी पूरी पार्टी भाजपा
के साथ नहीं जाएगी, दबाव में कुछ लोग पार्टी छोड़
सकते हैं। जो लोग छोड़कर जाएंगे यह उनका निजी फैसला होगा।
राउत ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में अपने साप्ताहिक स्तंभ 'रोकटोक' में भी इसी तरह का दावा किया
है। महाराष्ट्र में एक बार फिर से राजनीतिक बदलाव की अटकलें लगाई जा रही
हैं। इस बदलाव का कारण शिवसेना के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली याचिका पर जल्द ही सुप्रीम कोर्ट
का फैसला आने की उम्मीद है।
संजय राउत ने बीते मंगलवार को हुई शरद पवार और उद्धव ठाकरे
के बीच की मुलाकात का भी जिक्र किया है। उनके अनुसार पवार ने कहा था कि कोई भी
पार्टी नहीं बदलना चाहता। लेकिन परिवार को लगातार निशाना बनाया जा रहा है, ऐसे में अगर कोई छोड़ने का
व्यक्तिगत निर्णय लेता है, तो यह उसका व्यक्तिगत फैसला
होगा। लेकिन एक पार्टी के तौर पर हम कभी भी भाजपा के साथ नहीं जाएंगे।
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अजित पवार शुरुआत से ही बीजेपी के साथ जाने के इच्छुक
रहें हैं। बीजेपी के साथ जाने की उनकी इच्छा का अंदाजा इस बात से भी लगाया
जा सकता है कि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद जब किसी को भी बहुमत नहीं मिला था
तब महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने रातों रात देवेंद्र फडणवीस को
मुख्यमंत्री और अजित पवार को उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी थी। इसे शरद पवार
के खिलाफ अजीत पवार की बगावत माना गया था। हालांकि उस समय अजित एक ही दिन में वापस
भी लौट आए थे। लेकिन इस बार देखना होगा कि क्या करते हैं।
हाल ही में भ्रष्टाचार के एक मामले में दायर की
चार्जशीट से उनका नाम हटाया गया है। माना जा रहा है कि नाम हटाने की कीमत अजित
पवार बीजेपी की सरकार को बचाए रखने में मदद करेंगे।
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