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सुशांत केस- कड़ी-3: वंशवाद बनाम बाहरी- कंगना क्यों कूदीं?

फ़िल्मी सितारे सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले को कुछ लोगों ने एक मक़सद की लड़ाई में तब्दील कर दिया। इस लड़ाई की स्वयंभूझंडाबरदार फ़िल्मोद्योग की क्वीन कंगना रनौत बन गईं। उनका साथ कुछ और लोगों ने दिया लेकिन जल्द ही थक-हार कर पतली गली से निकल लिए। कंगना अभी भी इस मुद्दे पर लोगों के पीछे ट्विटर का लट्ठ लिए पड़ी हैं।

इंटरनेट पर मौजूद आलसी और बेकार दिमाग़ ट्रोल भी इस मुद्दे में कूद पड़े हैं। उन्होंने भी फ़िल्मी हस्तियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। इस तरह पूरे फ़िल्म उद्योग में परिवारवाद बनाम बाहरी की जंग छिड़ गई है।

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अब फ़िल्मोद्योग तीन हिस्सों में बँटा दिख रहा है।

एक वे हैं, जो फ़िल्मोद्योग में पनप चुके परिवारवाद या वंशवाद का विरोध कर रहे हैं। ये इक्का-दुक्का हैं और हर मुश्किल व हमले का पूरी तन्मयता से जवाब दे रहे हैं। न केवल बचाव कर रहे हैं बल्कि तीखे हमले भी कर रहे हैं। 

दूसरे वे हैं, जो वंशवाद की मुखालफत नहीं करते हैं। ये पहले से जमे परिवारों के हैं, जिन्हें लगता है कि हर क़ारोबार में वंशवाद या परिवारवाद है। चाहे वो क़ारोबार हो, सेना या राजनीति, सब जगह कुछ ही परिवार आपको दिखाई देंगे, तो फ़िल्मोद्योग में वंशवाद या परिवारवाद हो तो इसमें ग़लत क्या है? हर परिवार चाहता है कि उनकी अगली पीढ़ी ही उनका जगह ले। इसमें कोई ग़लत नहीं है।

तीसरे वे हैं, जो निष्पक्ष रूप से सारा तमाशा देख रहे हैं। उसे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि दोनों पक्ष किस मुद्दे पर झगड़ा कर रहे हैं। यह विवाद अब वाद-विवाद से आगे जाकर नाक और मूँछ की लड़ाई में तब्दील हो गया है लेकिन ये निष्पक्ष लोग उकसावा होने पर भी शांत बैठे हैं।

हंगामा क्यों बरपा?

सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की ख़बर जैसे ही आम ही, यह आरोप भी आम हो गया कि फ़िल्मोद्योग के कई बड़े निर्माता-निर्देशकों और फ़िल्मी सितारों ने सुशांत सिंह का बहिष्कार कर दिया था। उनकी मौत से ठीक पहले सुशांत के हाथों से लगभग छह फ़िल्में साज़िशन छीनी गईं जिससे यह प्रतिभाशाली युवा अभिनेता बुरी तरह टूट गया। डिप्रेशन का शिकार हो गया। इसी डिप्रेशन में उसने आत्महत्या कर ली।

फ़िल्मोद्योग से जुड़ी 24 फ़िल्मी हस्तियों ने कुछ लोगों को निशाने पर ले लिया, जिनमें सोनाक्षी सिन्हा, सलमान ख़ान, सोनम कपूर, आलिया भट्ट, करण जौहर, एकता कपूर, आदित्य चोपड़ा, अनन्या पांडे, जान्हवी कपूर जैसे कई नामों के ख़िलाफ़ आरोपों की सुनामी ही आ गई। इसमें कंगना रनौत ने मुखर भूमिका अदा की।

कंगना का कहर

कंगना रनौत ने सबसे पहले यह मुद्दा उठाया। इस रहस्यमय मौत ने कंगना को नया गोला-बारूद दे दिया। वह फौरन असलहा लेकर उन लोगों के ख़िलाफ़ क़िलाबंदी करने लगीं, हमलावर हो उठीं। इसके बाद तो कंगना का कहर किस पर नहीं टूटा, यह पूछिए। 

मूवी माफिया पर सवाल उठाते हुए कंगना ने एक ट्वीट किया कि 2019 में सुशांत सिंह राजपूत ने एक भी फ़िल्म शूट नहीं की क्योंकि फ़िल्म माफिया ने उनका बहिष्कार कर दिया था।

कंगना कहती हैं कि आख़िर क्यों इतने पावर हाऊस टैलेंटेड लड़के को शानदार कॅरियर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा और खेती करने के बारे में सोचना पड़ा? आख़िर क्यों?

इसके बाद एक के बाद एक कंगना के निशाने पर वह हर व्यक्ति आया, जो सुशांत मामले में लेशमात्र भी जुड़ा था। 

कंगना ने रिया के ख़िलाफ़ सुशांत सिंह के पिता द्वारा दर्ज एफ़आईआर के बाद ख़ुशी में ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि ‘रिया पिछले 6 महीने से सुशांत के साथ थी। उसने सुशांत की रहस्यमय मौत से बस दो दिन पहले ही महेश भट्ट को उसके मनोचिकित्सक के तौर पर तैनात किया था। ख़ुशी है कि अब पूरे मामले की जाँच होगी।’

केके सिंह द्वारा रिया के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दायर करने के बाद कंगना ने ट्विटर पर रिया को गोल्ड डिगर लिखा, जिसका अर्थ हर कोई समझ सकता है। उन्होंने लिखा, ‘उसकी आय का एकमात्र ज़रिया सुशांत था। सुशांत की मौत के बाद वह भाग कर अख़्तर से मिलने गई। क्यों? क्या उसके पास सुशांत की हत्या का वैलिड रीजन है या माफिया ने उसे इस्तेमाल किया है या सुसाइड गैंग उसे बलि का बकरा बना रहा है?’
sushant singh rajput death controversy and kangana ranaut nepotism allegations - Satya Hindi

कंगना ने यह भी लिखा कि सुशांत सिंह राजपूत का परिवार कहता है कि मुंबई पुलिस और मुख्यमंत्री महाराष्ट्र अपराधियों को बचा रहे हैं। स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस रिया बहुत ताक़तवर हो गई है क्योंकि उसने संजय दत्त और सलमान ख़ान के वकील को अपना वकील नियुक्त किया है। वह चेहरे पर आँसुओं की बाढ़ लाकर क़ानून और व्यवस्था पर नियंत्रण हासिल करने की कोशिश कर रही है।

कंगना अपना एजेंडा सेट करने के चक्कर में सुशांत के पिता और परिवार को भी निशाने पर लेने से बाज़ नहीं आईं। कंगना ने यहाँ तक कह दिया कि सुशांत के पिता 15 करोड़ रुपयों की हेराफेरी और धोखाधड़ी की शिकायत करके वंशवाद के मुद्दे से ध्यान भटका रहे हैं। 

कंगना ने फ़िल्म समीक्षक राजीव मसंद पर वंशवादियों का सहयोग करने के आरोप लगाए। उन्होंने आरोप लगाया कि राजीव मसंद दरअसल सुशांत की फ़िल्मों को जानबूझ कर ख़राब रेटिंग देते थे। सब पहले से योजनाबद्ध तरीक़े से किया जाता था। उनके आरोपों पर मुंबई पुलिस ने राजीव मसंद से पूछताछ की।

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सुशांत का बहुत अपमान हुआ – कंगना

कंगना ने यह भी कहा कि वंशवाद पर उन्होंने जो भी कहा, सब सही है। उन्होंने बताया कि सुशांत की मृत्यु के बाद उन्होंने अंकिता लोखंडे से बात की। अंकिता ने उन्हें बताया कि सुशांत का बहुत अपमान हुआ है।

अंकिता ने मुझे बताया कि कम समय में इतनी लोकप्रियता मिलने के बाद भी सुशांत ज़मीन से जुड़े रहे। वह बहुत ही संवेदनशील थे। अपनी छवि के बारे में बहुत सजग रहते थे कि लोग उन्हें कैसा समझेंगे। अंकिता ने उन्हें बताया था कि सुशांत का बहुत अपमान हो रहा था, जो सहन करना उनके लिए मुश्किल हो चला था।

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कंगना बनाम संजना

संजना सांघी ने उनसे यौन दुर्व्यवहार या बदतमीज़ी करने पर सुशांत पर #मीटू के ज़रिए सन 2018 में आरोप लगाए थे। सुशांत की मौत के बाद संजना ने इन आरोपों पर न केवल सफ़ाई दी बल्कि उन्हें वापस लेने संबंधी बातें भी कहीं। इसे लेकर कंगना नाराज़ हो गईं। उन्होंने कहा कि सुशांत के ख़िलाफ़ लगाए फ़र्ज़ी आरोपों पर अब संजना स्वप्रचार कर रही हैं। वह मौक़े को भुनाने की कोशिश कर रही हैं। कंगना की टीम ने इस पर ट्वीट करते हुए न केवल संजना पर आरोप लगाए बल्कि मुंबई पुलिस को यह ट्वीट टैग करके इस मामले की जाँच भी करने की नसीहत दे डाली। 

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सोनू सूद का तंज

जब फ़िल्मोद्योग की तमाम छोटी-बड़ी हस्तियाँ आग के इस कुंड में कूद रही हैं। सोनू सूद भी इस अखाड़े में उतरे। उन्होंने कहा कि सुशांत की मौत पर कई लोग माइलेज लेने की कोशिश कर रहे हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

सोनू सूद ने एक समाचार चैनल में कहा कि जो कभी मिले नहीं वो प्रचार के लिये कुछ भी बोल रहे हैं। सोनू सूद दरअसल कंगना रनौत पर ही परोक्ष हमला कर रहे थे।

बता दें कि एक बार कंगना ने स्वीकार किया कि उससे कभी नहीं मिलीं। 

शेखर सुमन पहुँचे राजभवन

अभिनेता शेखर सुमन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से राजभवन में मिल कर एक ज्ञापन दिया। सुशांत मामले की सीबीआई जाँच करने के लिए अनुरोध किया। 

नेपोमीटर की नपाई

विशाल कीर्ति को आप शायद नहीं जानते होंगे लेकिन यहाँ बताना लाज़मी है कि वे दिवंगत युवा अभिनेता सुशांत सिंह के जीजा हैं। 

विशाल कीर्ति ने एक ऐप्लीकेशन ‘नेपोमीटर’ बाज़ार में जुलाई के पहले सप्ताह में उतारा, जो बॉलीवुड की फ़िल्मों और टीवी शोज के बारे में बताएगा कि कौन वंशवाद या नेपोटिज़्म से ग्रस्त है या कौन स्वतंत्र है। उन्होंने साफ़ किया कि यह ऐप्लीकेशन सुशांत को उनकी तरफ़ से छोटी सी श्रद्धांजलि है। यह पैसे कमाने के लिए नहीं है बल्कि जनसेवा के उद्देश्य से किया काम है। 

इस ऐप ने सबसे पहले महेश भट्ट की फ़िल्म “सड़क 2” की समीक्षा दी, जिसमें आलिया भट्ट और पूजा भट्ट मुख्य भूमिका में हैं। इसका निर्माण आलिया और पूजा के चाचा मुकेश भट्ट कर रहे हैं। एप ने इस फ़िल्म को 100 में से 98 फ़ीसदी अंक वंशवाद से जुड़े होने के मामले में दिए हैं।

ऐप ने 5 अलग-अलग श्रेणियों के ज़रिए देखा कि फ़िल्म ‘सड़क 2’ में वंशवाद का कितना दखल है। इन श्रेणियों में फ़िल्म निर्माता, मुख्य भूमिका अदा करने वाले अभिनेता, सहयोगी कलाकार, निर्देशक और लेखक के नाम हैं। पाँच में से चार श्रेणियों में फ़िल्म में काम कर रहे परिवारों के सदस्य मिले हैं।

ऐप ने बताया है कि फ़िल्म के निर्देशक मुकेश भट्ट हैं, जिनके पिता नानाभाई भट्ट हैं। मुख्य भूमिका में महेश भट्ट और सोनी राज़दान की बेटी आलिया के अलावा सुनील दत्त - नरगिस के बेटे संजय दत्त हैं। निर्माता सिद्धार्थ राय कपूर के भाई आदित्य राय कपूर हैं। महेश भट्ट की बेटी पूजा भट्ट भी मुख्य भूमिका में हैं। फ़िल्म के निर्देशक महेश भट्ट हैं, जिनके पिता नानाभाई भट्ट हैं। लेखक भी महेश भट्ट हैं।

जागीर नहीं फ़िल्मोद्योग - शत्रुघ्न सिन्हा

मुखर राजनेता और अदाकार शत्रुघ्न सिन्हा ने भी सुशांत सिंह की मौत के मामले में सीबीआई जाँच करवाने संबंधी बयान दिया।

एक निजी चैनल से बात करते हुए शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि ‘फ़िल्मोद्योग किसी की जागीर नहीं है, जो कह सके कि इस इंसान का बहिष्कार कर दो, उसे काम मत दो। किसी को भी अधिकार नहीं है कि किसी व्यक्ति की ज़िंदगी और व्यवसाय में रोड़े अटकाए। हमारे वक़्त में न तो कॉफी विद अर्जुन होती थी, और न ही उससे पैदा होने वाले विवाद होते थे। ऐसे कार्यक्रमों से सिर्फ़ विवाद ही जन्म लेते हैं, जो लंबे समय तक लोगों के दिमाग़ में बने रहते हैं, जिससे बहुत नुक़सान होता है।’

अनुराग कश्यप के तीर

अनुराग कश्यप जितना अपनी फ़िल्मों में मुखर हैं, उतना ही देश-विदेश की राजनीति तथा मुद्दों पर विचार रखने में भी हैं। उन्होंने सुशांत सिंह मामले में परिवारवाद पर कठोर टिप्पणियाँ कीं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर सितारों के बच्चों को जमकर लताड़ लगाई जा रही है।

अनुराग ने टाइगर श्रॉफ और सैफ़ अली ख़ान के बेटे तैमूर को भी परिवारवाद की परिभाषा में रखते हुए तंज कसे। अनुराग ने एक रीट्वीट में लिखा कि ‘यह है मीडिया द्वारा नेपोटिज़्म। क्योंकि मीडिया भी वही दिखाता है जो दर्शक देखना चाहते हैं। तो क्या आप और मीडिया की तरफ़ से यह वंशवाद नहीं है? दरअसल इस ट्वीट की एक तसवीर में टाइगर श्रॉफ और तैमूर साथ नज़र आ रहे थे।’

अनुराग ने एक न्यूज़ पोर्टल को इंटरव्यू में बताया था कि सुशांत को उन्होंने अपनी फ़िल्म ‘हँसी तो फँसी’ के लिए साइन करना चाहा था। सुशांत ने इंकार कर दिया, जिससे वह दुखी या ग़ुस्सा नहीं हुए थे। उन्होंने बताया कि दूसरी फ़िल्म के लिए भी सुशांत से उन्होंने संपर्क किया लेकिन इस बार भी सुशांत ने इंकार किया। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सुशांत ने दो बार फ़िल्मों के लिए इंकार किया। हर अभिनेता अपनी पसंद के आधार पर फ़िल्मों का चुनाव करता है। वैसा ही सुशांत ने भी किया था।

विद्या बालन के बोल

देर सबेर सुशांत मामले में अभिनेत्री विद्या बालन का बयान भी सामने आ ही गया। विद्या बालन ने भी वंशवाद का मुद्दा छुआ ज़रूर। सिनेमा एक्सप्रेस से बात करते हुए विद्या बालन ने कहा कि ‘सुशांत ने ऐसा क़दम क्यों उठाया, किसी को नहीं मालूम। हमें शांत रह कर उनका सम्मान करना चाहिए। लोग तो तमाम बातें बनाएँगे जो कि सुशांत सिंह और उनके परिवार के लिए ठीक नहीं है। कोई अपनी ज़िंदगी ख़त्म करने के बारे में सोचता है, तो हम किसी पर आरोप नहीं लगा सकते। मैंने भी अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। मैं यह नहीं कह सकती कि यहाँ वंशवाद नहीं है लेकिन हाँ, मैंने इसे कभी अपने रास्ते में नहीं आने दिया।’

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हम ग़लत नहीं - आदित्य चोपड़ा

मुंबई पुलिस ने यशराज फ़िल्म्स से एक पत्र के ज़रिए सुशांत सिंह राजपूत के साथ हुए करारनामे की सत्यापित प्रति माँगी ताकि पता किया जा सके कि वंशवाद और सुशांत के बहिष्कार करने के जो आरोप लग रहे हैं, उनमें कितना दम है।

सुशांत ने यशराज फ़िल्म्स के बैनर में 2013 में फ़िल्म ‘शुद्ध देसी रोमांस’ में अभिनय किया था, जिसका निर्देशन मनीष शर्मा ने किया। उसके बाद 2015 में दिवाकर बनर्जी निर्देशित फ़िल्म ‘डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी’ में दिखे। इसी बैनर की तीसरी फ़िल्म ‘पानी’ बनने वाली थी, जिसका निर्देशन शेखर कपूर करने वाले थे। यह फ़िल्म अचानक यशराज फ़िल्म्स ने बंद कर दी।

आरोप लगे कि यशराज फ़िल्म्स में सुशांत के बदले रणवीर सिंह को आगे लाना शुरू कर दिया। जो फ़िल्म सुशांत को देने की बात थी, वह भी छीन कर रणवीर को दे दी। इतना ही नहीं, सुशांत की फ़िल्में पुरस्कारों और फ़िल्म समारोहों में भेजने के बदले, रणबीर की फ़िल्में भेजी जाने लगीं जिससे सुशांत का कॅरियर तबाह होने लगा।

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मुंबई पुलिस ने जब इस सिलसिले में आदित्य चोपड़ा से पूछताछ की तो उन्होंने पुलिस अधिकारियों को बताया कि फ़िल्म ‘पानी’ को लेकर सुशांत कभी तनाव में नहीं थे। शेखर कपूर के लगाए तमाम आरोप झूठे हैं। उन्होंने कहा कि मेरी जानकारी में सुशांत गुटबाजी या वंशवाद के शिकार कभी नहीं हुए। उन्होंने कहा कि यशराज फ़िल्म्स ने सुशांत को संजय लीला भंसाली की फ़िल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ में काम करने से नहीं रोका था। सुशांत हमारे साथ क़रार पर थे लेकिन हमने उन्हें धोनी की बायोपिक करने दी, तो हम क्यों बाजीराव मस्तानी जैसी फ़िल्म करने से उन्हें रोकते? हम कभी सुशांत के आगे बढ़ने में रुकावट नहीं बने।

वंशवाद का इस मौत में कितना हाथ है, यह तो नहीं पता। वंशवाद पर हमलावरों को इस बहस का कितना फ़ायदा होना है, यह तो वक़्त ही बताएगा। सच यह भी है कि वंशवाद की बेल देश के हर कोने में पसरी दिखती है। इससे मुक्ति के लिए जब तक अभियान नहीं चलेंगे, इस लड़ाई में कुछ शहादत नहीं होंगी, तब तक इसे ख़त्म भी नहीं किया जा सकेगा।

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विवेक अग्रवाल
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