‘राजनीति में कोई नैतिकता नहीं बची है, सब कुछ जायज है, साम-दाम-दंड-भेद, सब कुछ चलता है।’ विश्लेषकों और पर्यवेक्षकों के मुँह से आपने ये बातें सुनी होंगी। पर यदि यही बातें कोई नेता कहे और वह भी कैमरा के सामने तो आप यकीन करेंगे?